जबलपुर: शहडोल जिले के अंतौली गांव के निर्वेश और रावेंद्र सिंह तथा उमरिया जिले के ममान गांव के मुनीम व नेमसा के परिवार वाले गुरुवार शाम से बहुत खुश थे. इसकी वजह इन चारों की महाराष्ट्र के जालना से घर वापसी की सूचना गुरुवार शाम को ही परिजनों को मिल गई थी. लेकिन, शुक्रवार सुबह जैसे ही रेल हादसे में इन लोगों की मौत की खबर घर पहुंची, दाेनों गांवों में मातमी सन्नाटा पसरा गया. इस हादसे में किसी के बेटे और पति ने जान गंवाई तो किसी के भाई ने. शहडोल जिले के 9 श्रमिक तो एक ही गांव अंतौली के थे और आपस में एक-दूसरे से बेहद करीबी रिश्तेदार थे. इनमें दो परिवारों के दो सगे भाई, चाचा-भतीजा और जीजा-साला शामिल हैं. शुक्रवार सुबह कलेक्टर डॉ. सतेंद्र सिंह, एसपी सत्येंद्र शुक्ला सहित पूरा प्रशासनिक अमला गांव में मौजूद था. ब्यौहारी विधायक शरद कोल भी यहां पहुंचे. वहीं ममान गांव के चार लोगों की मौत हुई है.
दरअसल, जयसिंहनगर जनपद में आने वाले अंतोली के निर्वेश और रावेंद्र की मौत के बाद घर में अब सिर्फ 80 साल के पिता रह गए हैं. उनकी पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है. बुजुर्ग पिता को जब पता चला तो वे सदमे में चले गए . वह बार-बार यही कह रहे थे, उनके बुढ़ापे का सहारा चला गया. परिवार से जुड़े लोगों ने बताया कि निर्वेश की इस वर्ष शादी होने वाली थी. अंतौली के ही दो और सगे भाइयों की इस हादसे में जान चली गई है. शिवदयाल और बुद्धराज उर्फ बृजेश अपने परिवार में दो ही लड़के थे. दोनों की शादी नहीं हुई थी. दोनों भाइयों की मौत से बहनें बेहाल हो गयी है. इसके अलावा परिवार में एक चाचा-भतीजे धन सिंह और दीपक भी हादसे का शिकार हुए हैं. धन सिंह की पत्नी का देहांत हो चुका है. दीपक की पत्नी और एक साल का बेटा है. राजबहोरन का दो साल का बेटा है.
बता दें की उमरिया के पाली जनपद वाले ममान गांव का मुनीम पिता शिवचरण गांव के अन्य साथियों की भांति अपने भाई नेमसा के साथ महाराष्ट्र गया हुआ था. पत्नी कृष्णावती सिंह ने बताया, शाम को मोबाइल से बात हुई थी. उन्होंने कहा था हम लोग घर आ रहे हैं. यहां खाने-पीने के भी लाले पड़े हुए हैं. कृष्णवती के परिवार में दो बेटे-बेटी हैं. उधर, नेमसा की पत्नी देववती की आंखें रो-रोकर पथरा गई हैं. वह बार-बार बेहोश हो जाती है.
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