शैलेश लोढ़ा शायरी: आदमी बन जो धरा का भार कंधो पर उठाये, बाँट दे जग को ना अमृत बूँद अधरों पर लगाये...

शैलेश लोढ़ा शायरी: आदमी बन जो धरा का भार कंधो पर उठाये, बाँट दे जग को ना अमृत बूँद अधरों पर लगाये...
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1- आदमी बन जो धरा का भार कंधो पर उठाये

बाँट दे जग को ना अमृत बूँद अधरों पर लगाये

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