लखनऊ: नेपाल के जनकपुर से दो बड़े ट्रकों से लाई जा रही शालिग्राम शिला उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर पहुंच गई है। तत्पश्चात, यहां मंदिर में बड़े आँकड़े में लोग दर्शन करने पहुंच रहे हैं। मंगलवार रात आराम के पश्चात् 1 फरवरी को शालिग्राम शिला को अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा। नेपाल की काली गंडकी नदी से प्राप्त हुए 6 करोड़ वर्ष पुराने 2 विशाल शालीग्राम पत्थरों से प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप की प्रतिमा एवं माता सीता की प्रतिमा बनाई जानी है। रामलला की प्रतिमा 5 से साढ़े 5 फीट की बाल स्वरूप की होगी।
प्रतिमा की ऊंचाई इस प्रकार निर्धारित की जा रही है कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के माथे पर पड़ें। अयोध्या में बन रहे रहे श्रीराम मंदिर के लिए ये पत्थर नेपाल से आ रहे हैं। जहां-जहां से ये पत्थर निकल रहे हैं, वहां-वहां लोग इन्हें छूने के लिए, दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। शिला का 26 जनवरी 2023 को बृहस्पतिवार के दिन गलेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक किया गया था। गोरखनाथ मंदिर पहुंचने के पश्चात् शिलाओं का स्वागत-पूजन पूज्य संतों के हिंदू सेवाश्रम पर करेंगे। तत्पश्चात, यात्रा में शामिल सभी लोगों का मंदिर में भोजन एवं विश्राम होगा। अगले दिन एक फरवरी की प्रातः यात्रा का विधि-विधान से पूजन कर उनको अयोध्या जी के लिए गोरक्ष पीठाधीश्वर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा रवाना किया जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार, शालिग्राम में प्रभु श्री विष्णु का वास माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों में माता तुलसी एवं भगवान शालिग्राम की शादी का उल्लेख भी मिलता है। शालिग्राम के पत्थर गंडकी नदी में ही पाए जाते हैं। हिमालय के मार्ग में पानी चट्टान से टकराकर इस पत्थरों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है। परम्परा है कि जिस घर में शालिग्राम की पूजा होती है, वहां सुख-शांति एवं आपसी प्रेम बना रहता है। साथ ही माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है।
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