साउथ की सुपरहिट फिल्म 'अर्जुन रेड्डी' से मशहूर हुईं अभिनेत्री शालिनी पांडे ने अपने करियर में एक लंबा सफर तय किया है। अपनी सफलता के बावजूद, इंडस्ट्री में शालिनी का सफर आसान नहीं रहा। हाल ही में एक मीडिया इवेंट में उन्होंने खुलासा किया कि उनके माता-पिता चाहते थे कि वह इंजीनियर बनें, लेकिन उनकी कुछ और ही योजना थी।
शालिनी ने बताया कि उन्होंने अपने माता-पिता को चार साल तक मनाने की कोशिश की कि वे उन्हें एक्टिंग में करियर बनाने दें, लेकिन वे तैयार नहीं हुए। आखिरकार, उन्होंने घर छोड़ने और अपने सपनों का पीछा करने का फैसला किया। उस मुश्किल दौर को याद करते हुए शालिनी ने कहा, "मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकी। वे मेरे एक्टिंग करियर का समर्थन करने के लिए भी तैयार नहीं थे। मैंने उन्हें चार साल तक मनाने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार मुझे घर छोड़ना पड़ा। यह एक कठिन फैसला था, लेकिन मुझे अपने दिल की बात माननी पड़ी।"
मुंबई पहुंचने पर शालिनी को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा - रहने के लिए जगह ढूँढना। शहर में कोई दोस्त या परिवार न होने के कारण, उसे लड़कों के साथ कमरा साझा करना पड़ा। हालाँकि, अब वह उन्हें अपना परिवार मानती है, और हैदराबाद आने के बाद भी वे करीबी दोस्त बने हुए हैं।
शालिनी साउथ की फिल्मों में सक्रिय रही हैं, उन्होंने "महंती", "एनटीआर: कथानायकुडु", "118", "गोरिल्ला", "इद्दारी लोकम ओकाटे", "बमफाड़", "निशब्दम" और "साइलेंस" में उल्लेखनीय भूमिकाएँ निभाई हैं। उन्होंने "मेरी निम्मो", "जयेशभाई जोरदार" और "महाराज" जैसी हिंदी फिल्मों में भी अनी पहचान बनाई है। संघर्षों का सामना करने के बावजूद, शालिनी के दृढ़ संकल्प और अभिनय के प्रति जुनून ने उन्हें इंडस्ट्री में एक पहचाना हुआ नाम बना दिया है।
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