बैंगलोर: कर्नाटक के दरवेश ग्रुप कंपनी से जुड़े करोड़ों के धोखाधड़ी मामले में CID अधिकारियों ने मुहम्मद शमीद, मोहसिन और अजहर अली को गिरफ्तार किया है। जांच के दौरान आरोपियों ने बताया कि एक परिचित के घर पर 2 करोड़ रुपए नकद छिपाए गए हैं। इस सुराग के बाद CID अधिकारियों ने रायचूर शहर के एलबीएस नगर में एक घर की तलाशी ली और 2 करोड़ रुपए बरामद किए। धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद से कंपनी का मालिक मोहम्मद हुसैन सुजा फरार है। CID एसपी पुरुषोत्तम के नेतृत्व में जांच जारी है, जो सुजा की सक्रियता से तलाश कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, रायचूर में हैदराबाद रोड पर स्थित दरवेश ग्रुप कंपनी 2022 से काम कर रही है। कंपनी का प्रबंधन मोहम्मद हुसैन सुजा, सैयद मस्किन और सैयद द्वारा किया जाता था। उन्होंने 10 प्रतिशत और उससे अधिक ब्याज दरों के साथ उच्च रिटर्न का वादा करके लोगों से पैसे ले लिए थे। इस योजना ने मुख्य रूप से ऑटो और कैब ड्राइवरों, प्लास्टर श्रमिकों और अन्य गरीब व्यक्तियों को निशाना बनाया गया, जिसमे से कई लोगों ने उच्च ब्याज दरों के वादे के लालच में निवेश करने के लिए अपने घर तक को गिरवी रख दिया।
हालांकि, पिछले कुछ महीनों से कंपनी वादा किए गए ब्याज का भुगतान करने में विफल रही है, जिससे निवेशकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और अशांति बढ़ रही है। 22 जून को स्थिति और बिगड़ गई, जब वित्तीय मुद्दों को लेकर दरवेश ग्रुप के कार्यालय में एक बड़ा टकराव हुआ। निवेशकों ने बताया कि कंपनी महीनों से जवाबदेह नहीं रही और उसने पूरी तरह से परिचालन बंद कर दिया है। ब्याज भुगतान, जो पहले छिटपुट चल रहा था, वो अब पूरी तरह से बंद हो गया है। रायचूर साइबर, आर्थिक और नारकोटिक (सीईएन) अपराध पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप दरवेश समूह के मालिकों - मोहम्मद हुसैन सुजा, सैयद मस्किन और सैयद के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। शमीद, मोसिन और अजहर अली की गिरफ़्तारी चल रही जांच में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। सीआईडी सुजा की तलाश कर रही है और 2 करोड़ रूपए बरामद कर लिए हैं। बताया जा रहा है कि ये पूरा घोटाला 500 करोड़ रूपए का है।
रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी बड़ी रकम इकट्ठा कर किसी खाड़ी देश में भागन जाने की साजिश रच रहे थे, लेकिन पुलिस ने उनकी कोशिश नाकाम कर दी। आरोपियों ने निवेशकों से वादा किया था कि वे शेयर बाजार में पैसा लगाएंगे और अच्छा रिटर्न देंगे, इसलिए वे 10 फीसदी ब्याज दे सकते हैं। लेकिन मई से उन्होंने निवेशकों को ब्याज देना बंद कर दिया है, जिससे निवेशकों में दहशत फैल गई और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दलित युवक वेंकटेश ने दो महीने पहले ही अपनी खुद की 2 लाख रुपए की रकम निवेश की और अपने भाई को 7 लाख रुपए निवेश करने के लिए राजी किया। पीड़ितों में अधिकतर दलित और पिछड़े वर्ग के लोग हैं।
कंपनी द्वारा भुगतान बंद करने की बात सुनकर वह सदमे में आ गया और पिछले सप्ताह जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। आत्महत्या के प्रयास के बाद विभिन्न संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। दबाव के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार ने मामले को CID को सौंप दिया, जिसने कंपनी के तीन भागीदारों को गिरफ्तार करने और मामले के मुख्य आरोपी को पकड़ने के प्रयास में सफलता पाई।
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