बॉलीवुड कुछ नया क्यों नहीं करता है, वहीं पुरानी घिसी-पिटी कहानी पर चलता हुआ दिखाई दे रहा है. साउथ की मूवी बहुत आगे निकल गई हैं....बॉक्स ऑफिस पर तो उनकी मूवी हंगामा मचाते हुए दिखाई दे रही है. ये हम नहीं आपके दिल की आवाज है. पिछले कुछ महीनों में ये लाइन आपने अपने दोस्त से सुनी होगी....किसी मूवी क्रिटिक ने भी टिप्पणी की होगी, या आप भी ऐसी राय रखते होंगे. हम भी रखते थे, लेकिन अब नहीं. बॉलीवुड को उसका शमशेरा मिल गया है. बॉलीवुड अपने पुराने रंग में वापस आ गया है....उत्साह बढ़ रहा है ना??
कहानी: आजादी से कई वर्ष पूर्व खमेरा जाति के लोग सीना तानकर चला करते थे. छोटी जाति के थे, इसलिए उनके संघर्ष जरूर थे, लेकिन एकता ऐसी कि कोई उन्हें हिला नहीं पाया. लेकिन फिर मुगलों का शासन आया और खमेरा जाति के लोगों को अपना घर-बार सब छोड़कर जानें पड़ गया. यहां भी उनका संघर्ष समाप्त नहीं हुआ और अंग्रेसों ने भारत पर कब्जा अब भी जमाया हुआ है. उनके आते ही खमेरा के बुरे दिन शुरू हो गए. खमेरा का सरदार था शमशेरा (रणबीर कपूर). ये लोग डकैती करते थे, कहते थे- कर्म से डकैत, धर्म से आजाद. ये जिनकी जाति का मूल मंत्र था. अब डकैत तो ये बने रह गए लेकिन अंग्रेजों ने इनकी आजादी भी छीन चुके है. धोखा देकर उन्हें बंदी बना लिया. काजा का कोई किला है, जहां इन सभी खमेराओं को पकड़ कर रखा गया. कैसे आए, क्यों आए, वो कहानी का ऐसा हिस्सा जो यहां नहीं बता सकते.
बॉलीवुड से बैक विद बैंग!: शमशेरा ने बॉलीवुड में फिर जान डाल दी है. वो सारा मसाला, वो सारा ड्रामा, वो कहानी...वो सस्पेंस....वो थ्रिलर...वो अदाकारी....जो भी कुछ आप मिस कर रहे थे, हिंदी सिनेमा को शमशेरा ने दे डाला है. यशराज फिल्म्स की ये पेशकश बॉलीवुड के लिए संजीवनी साबित होने वाली है. कहानी इतनी टाइट रखी गई है कि बोर होने का आपको मौका नहीं मिलने वाला है. पहले हाफ में सेकेंड हाफ की भूमिका तैयार की जा चुकी है. हर किरदार को सेट होने का टाइम दिया गया है. जिस तरह के विजुल्स परोसे जा चुके है, देखते ही दिल खुश हो जाएगा.
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