सोशल मीडिया पर दलितों को भड़काता था शाने आलम, शिकायत करने पर दी धमकी, यूपी पुलिस ने किया गिरफ्तार

सोशल मीडिया पर दलितों को भड़काता था शाने आलम, शिकायत करने पर दी धमकी, यूपी पुलिस ने किया गिरफ्तार
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लखनऊ: रामनगरी अयोध्या से यूपी पुलिस ने शान ए आलम नामक एक युवक को राम मंदिर के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने और बाद में शिकायतकर्ता को धमकाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। मामले में पुलिस द्वारा गहन जांच के बाद बुधवार, 31 जुलाई को गिरफ्तारी की गई। रिपोर्ट के अनुसार, मामला अयोध्या जिले के रामजन्मभूमि थाना क्षेत्र का है। 9 जून 2024 को करण शिल्पकार नाम के एक व्यक्ति ने पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी। करण के अनुसार, वह उस दिन अपना फेसबुक चला रहा था, तभी उसे शान-ए-आलम नामक एक यूज़र की पोस्ट दिखाई दी। 6 जून 2024 को पोस्ट की गई इस पोस्ट में एक वीडियो था, जिसमें झूठा दावा किया गया था कि अनुसूचित जाति (SC) के लोगों को राम मंदिर में प्रवेश करने से रोका जा रहा है।

वीडियो में न केवल गलत सूचना का प्रचार किया गया, बल्कि SC वर्ग में कई जातियों के नामों का उल्लेख अपमानजनक शब्दों जैसे धो@, भं#, च#र आदि के साथ किया गया था। शिकायतकर्ता ने कहा कि भ्रामक पोस्ट में झूठा दावा किया गया है कि दलित समुदाय के सदस्यों को मंदिर में प्रवेश करने से रोका जा रहा है, आरोपी झूठ फैला रहा है और उसकी समुदाय के भीतर विभाजन पैदा करने की कोशिश है। उन्होंने इस हानिकारक प्रचार को रोकने के लिए आरोपियों को सख्त सजा दिए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

 

इन चिंताओं से प्रेरित होकर, पुलिस ने 9 जून को शान-ए-आलम के खिलाफ  FIR (संख्या: 96/2024) दर्ज की। FIR की जानकारी मिलते ही शान-ए-आलम भड़क गया। आरोप है कि मंगलवार 30 जुलाई को वह अपने दो साथियों के साथ शिकायतकर्ता करण के घर गया। इस दौरान शान-ए-आलम और उसके साथियों ने उसे धमकाते हुए कहा कि, "तू नेता बन रहा है और मेरे खिलाफ केस कर दिया है। अपना केस वापस ले, नहीं तो जान से हाथ धो बैठेगा।" धमकियों के अलावा आरोपी ने करण को भद्दी गालियां भी दी।

इसके बाद करण ने 30 जुलाई को रामजन्मभूमि थाने में एक और FIR दर्ज कराई। FIR (संख्या 117/2024) के अनुसार करण ने बताया कि शान-ए-आलम ने मुझे धमकाते हुए कहा कि, "तु कौन, नेता है, जो मेरी पोस्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज कर रहा है? कल पुलिस मेरे घर आई थी। बेहतर होगा कि तू अपनी शिकायत वापस ले लो, वरना तेरी जान जा सकती है।'' इस FIR के आधार पर आलम पर भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 352 (हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 351 (3) (आपराधिक धमकी) के तहत केस दर्ज किया गया है।
दोनों FIR के बाद पुलिस ने शान-ए-आलम की तलाश शुरू की और अंततः 31 जुलाई को उसे गिरफ्तार कर लिया।

अयोध्या के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) राज कुमार नैय्यर ने इस मामले पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए शान-ए-आलम की हरकतों की गंभीरता पर जोर दिया। SSP नैय्यर ने कहा कि, "शान-ए-आलम की भ्रामक और निराधार पोस्ट ने न केवल अयोध्या और आस-पास के इलाकों के निवासियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, बल्कि सामाजिक कलह को भी भड़काने का जोखिम पैदा किया है।"

क्यों भड़काई जा रही जातिवाद की आग ? 

बता दें कि, अयोध्या के राम मंदिर में जातिगत बहस फरवरी 2024 में तब चर्चा में आई थी, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी में भाषण देते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाए थे। राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि, राम मंदिर कार्यक्रम में जानबूझकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को शामिल नहीं किया गया, क्योंकि वे एक आदिवासी समुदाय से हैं। जबकि, विश्व हिन्दू परिषद् (VHP) खुद महामहिम को आमंत्रण देने पहुंचा था, लेकिन व्यस्तता के कारण वे आ नहीं पाईं। 

इसके अलावा भी राहुल गांधी ने कई मौकों पर केंद्र सरकार पर देश के 73 प्रतिशत दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि पूंजीपतियों के पक्ष में उनकी अनदेखी की गई। उन्होंने राम मंदिर कार्यक्रम में दलित, आदिवासी और खेतिहर मजदूरों को ना बुलाने का आरोप लगाया और इसकी तुलना अडानी, अंबानी जैसे प्रमुख व्यवसायियों के साथ-साथ अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय जैसी मशहूर हस्तियों की उपस्थिति से की। जबकि, मंदिर बनाने वाले मजदूरों पर खुद प्रधानमंत्री ने फूल बरसाए थे, और कई दलित-आदिवासी भी इस समारोह में आमंत्रित किए गए थे। 

अगर राम मंदिर आंदोलन के इतिहास पर नज़र डालें तो, इसमें दलितों की महत्वपूर्ण भागीदारी शामिल है। 1989 में बिहार के सुपौल के दलित कामेश्वर चौपाल ने मंदिर की पहली आधारशिला रखी थी। चौपाल आज राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं, आंदोलन में उनके समुदाय की भूमिका के कारण उन्हें ये पद दिया गया है। इसके अलावा, एक दलित दंपति, विट्ठल और उनकी पत्नी, जो 1992 में बाबरी ढांचे के विध्वंस के दौरान कारसेवक थे, 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में भाग लेने वालों में शामिल थे। इसके अलावा भी कई आम लोग और भक्त थे, जिन्हे आमंत्रण देकर समारोह में बुलाया गया था। कांग्रेस के भी दिग्गज नेताओं को आमंत्रण मिला था, लेकिन उन्होंने इससे इंकार कर दिया। गौर करने वाली बात ये भी है कि, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा, राजीव, सोनिया और राहुल गाँधी तक। गांधी नेहरू परिवार का कोई सदस्य कभी अयोध्या दर्शन करने नहीं गया है। हाँ, नेहरू, इंदिरा और राहुल गांधी खुद काबुल  में बाबर की कब्र के दर्शन करने जा चुके हैं, जिसकी तस्वीरें भी इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। 

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