अमावस्या प्रत्येक माह में आती है। अमावस्या तिथि को पितरों के लिए समर्पित माना जाता है। जो अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है, उसे शनि अमावस्या अथवा शनैश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। आज 4 दिसंबर को शनैश्चरी अमावस्या है। शनैश्चरी अमावस्या की अहमियत कई गुणा अधिक होता है। अगर आपके घर में पितृ दोष लगा है, या पितर आपसे नाराज हैं, तो शनैश्चरी अमावस्या का दिन इस लिहाज से बहुत शुभ है। पितरों के खफा होने पर मनुष्य की जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव आते हैं। धन की कमी चिंतित करती है, तरक्की में बाधा आती है, गर्भधारण सरलता से नहीं होता या गर्भपात हो जाता है। कुल मिलाकर जिंदगी अस्त व्यस्त बना रहता है। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ है तो आज अमावस्या के दिन आप अपने पितरों के निमित्त कुछ काम करके उन्हें सरलता से मना सकते हैं तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
पितरों के निमित्त करें ये उपाय:-
1- ऐसे मंदिर में जाएं जहां पीपल का वृक्ष लगा हो। उस वृक्ष पर दूध-जल मिलाकर जल चढ़ाएं। शाम के वक़्त पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं तथा सात बार वृक्ष की परिक्रमा करें। तत्पश्चात, अपने पितरों से अपनी त्रुटियों के लिए क्षमा याचना करें। यदि आप ऐसा प्रत्येक अमावस्या पर कर सकें तो बहुत ही अच्छा है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।
2- पितरों को प्रसन्न करने के लिए आज उनके निमित्त श्राद्ध कर्म, पिंडदान आदि भी कर सकते हैं। साथ-साथ ब्राह्मणों को खाना खिलाए तथा जरूरतमंदों को सामर्थ्य के मुताबिक, दान दें। कुते, गाय, कौए, चीटियों को भोजन दें और एक भाग पीपल के पास भी रखें। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
3- अमावस्या पर गाय को पांच तरीके के फल खिलाएं तथा बबूल के वृक्ष के नीचे शाम के वक़्त भोजन रखें। ऐसा करने से भी पितर खुश होते हैं तथा पितृदोष समाप्त होता है। ऐसा प्रत्येक अमावस्या को करना चाहिए।
4- शिव मंदिर में जाकर गाय के दूध एवं गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। अपने हाथों से पीपल का एक वृक्ष लगाएं। इस वृक्ष को गाय का दूध एवं जल मिलाकर चढ़ाएं। दीपक जलाएं। नियमित रूप से इस वृक्ष की सेवा करें। इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है।
5- पितरों की मुक्ति के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें। परमेश्वर से उनकी मुक्ति की प्रार्थना करें तथा पितरों से अपनी त्रुटियों की क्षमा मांगें। इससे पितरों की नाराजगी कम होती है।
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