हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन का महीना सबसे अंतिम तथा बहुत विशेष माह माना गया है। इसी महीने में महाशिवरात्रि तथा होली जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं। फाल्गुन के माह की अमावस्या की भी खास अहमियत है। इस बार शनिवार के दिन ये अमावस्या पड़ने से इसकी अहमियत और भी बढ़ गई है। शनिवार के दिन जब अमावस्या तिथि पड़ती है तो इसे शनैश्चरी अमावस्या अथवा शनि अमावस्या बोला जाता है। शनि अमावस्या पर दान तथा स्नान की खास अहमियत है, साथ ही पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण तथा श्राद्ध कर्म भी किए जाते हैं। राहु-केतु से निर्मित कालसर्प दोष एवं पितृदोष की शांति कराने के लिए भी ये दिन बहुत अच्छा माना जाता है। इसके अतिरिक्त जो लोग शनिदोष, साढ़ेसाती, शनि की ढैया से प्रभावित हैं, उन्हें इस दिन शनिदेव की उपासना करनी चाहिए। इससे उनकी विभिन्न समस्यां दूर होती हैं।
जानिए क्या होती है अमावस्या:
हिन्दू पंचांग के मुताबिक, महीने के 30 दिन को चंद्र कला के आधार पर 15-15 दिन के दो पक्षों में बांटा गया है। शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन को अमावस्या बोला जाता है। अमावस्या को सूर्य तथा चंद्रमा के मिलन का वक़्त माना जाता है। इस दिन सूर्य एवं चंद्र दोनों एक ही राशि में होते हैं।
कुंभ राशि वालों के लिए बहुत विशेष है शनैश्चरी अमावस्या:
13 मार्च 2021 को अमावस्या का दिन कुंभ राशि वालों के लिए बहुत विशेष माना जा रहा है। इस दिन शनि की राशि कुंभ में चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इस दिन सूर्य, चंद्र, बुध, तथा शुक्र चारों ग्रह एक ही राशि में होंगे। शनि कुंभ राशि के स्वामी होते हैं। कुंभ राशि के व्यक्तियों पर इस वक़्त साढ़े साती भी चल रही है। ऐसे में वे शनि के खास उपाय करके शनिदेव को खुश कर सकते हैं तथा साढ़ेसाती से निजात पा सकते हैं।
अमावस्या से जुड़े रोचक तथ्य:
1. शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को कहा जाता है। इसलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य की खास अहमियत है।
2. अमावस्या पर तीर्थ स्नान, जाप तथा उपवास करने से ऋण और सभी पापों से छुटकारा प्राप्त होता है।
3. ज्योतिष में चंद्र को मन का भगवान माना गया है। अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में मन में नकारात्मक विचार बढ़ते हैं। जो व्यक्ति अति भावुक होते हैं, उन पर इस बात का सबसे अधिक असर पड़ता है।
4. अमा नाम की चंद्र की एक महाकला है, जिसमें चंद्र की सोलह कलाओं की शक्तियां सम्मिलित हैं। इस कला का क्षय तथा उदय नहीं होता है।
5. जो जातक अमावस्या पर उपवास रखना चाहते हैं, उन्हें इस दिन केवल दूध का सेवन करना चाहिए। सामान्य रूप से ये उपवास एक साल तक किया जाता है।
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