आज शनिवार है और शनिवार के दिन शनिदेव का पूजन किया जाता है। हालाँकि जिन लोगों पर शनि का प्रकोप होता है वह जीवन में बहुत मुश्किलों का सामना करते हैं। हालाँकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव को शनिदेव को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं। मंत्र जाप भी इनमें से एक है। कहा जाता है शनिदेव के मंत्रों (Shani Mantra) का जाप विधि-विधान से किया जाए तो परेशानियां कुछ हद तक कम हो सकती हैं।
पहले तो हम यह बता दें कि शनिदेव इस समय मकर राशि में मौजूद हैं, ऐसे में धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। वहीं इनके अलावा मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव है। आने वाले 29 अप्रैल 2022 को जब शनि राशि परिवर्तन कर मकर से कुंभ में प्रवेश करेंगे तो धनु राशि पर से साढ़ेसाती का प्रभाव खत्म हो जाएगा और मीन राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो जाएगा। जी हाँ और इनके अलावा कुंभ राशि पर साढेसाती का दूसरा और मकर पर अंतिम चरण शुरू होगा। इसी के साथ शनि की ढैय्या का प्रभाव मिथुन और तुला राशि से खत्म हो जाएगा और कर्क तथा वृश्चिक पर शुरू हो जाएगा।
यह हैं शनि का पौराणिक मंत्र-
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
शनि का वैदिक मंत्र-
ऊँ शन्नोदेवीर- भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
तांत्रिक शनि मंत्र:-
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
शनि बीज मंत्र-
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
सामान्य मंत्र-
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
शनि गायत्री मंत्र-
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्
इस विधि से करें मंत्र जाप- शनिवार की शाम को स्नान आदि करने के बाद घर के किसी साफ स्थान पर शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। अब शनिदेव को नीले फूल, काला कपड़ा, काली उड़द और काले तिल चढ़ाएं। इसी के साथ ही मीठी पुरी का भोग भी लगाएं। अब काली तुलसी की माला से ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।
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