आप सभी इस बात से बखूबी वाकिफ हैं कि मानव जीवन में अच्छा और बुरा समय तो निरंतर लगा ही रहता है और ऐसे में जब इंसान के जीवन में बुरा समय आता है तो उसे बस अपने अच्छे दिनों का इंतजार रहता है. आप सभी को बता दें कि शास्त्र के अनुसार इंसान के जीवन में कई बार अच्छा व बुरा समय शनिदेव की दृष्टि के कारण आता है और अगर कुंडली के भाव पर शनिदेव की दृष्टि है तो वह मानव जीवन में अच्छा तथा बुरा प्रभाव लेकर आती है. ऐसे में आज हम बताने जा रहे हैं कि किस भाव में कैसे होते हैं शनि के प्रकोप..
1. पहले भाव में शनि– कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में शनि पहले भाव में होता है तो वह व्यक्ति जीवन में सभी सुख प्राप्त करता है और लाभ ही लाभ होता है.
2. दूसरे भाव में शनि – कहते हैं कि दूसरे भाव में शनि व्यक्ति को लालची बना देता है. उस व्यक्ति को विदेश से धन प्राप्त करने की लालसा रहती है लेकिन ऐसा बहुत कम होता है.
3. तीसरे भाव में शनि – कहते हैं कि तीसरे भाव का शनि व्यक्ति को संस्कारी, सुंदर और चतुर बना देता है जो बहुत अच्छा होता है.
4. चौथे भाव में शनि – यह भी कहा जाता है कि जिनकी कुंडली में शनि चौथे भाव में हो तो वह व्यक्ति रोग, दुखी, वाहन, धन की कमी का सामना करता है.
5. पांचवें भाव में शनि – ऐसा माना जाता है कि कुंडली के पांचवें भाव में शनि हो तो वह व्यक्ति किसी भी काम में आसानी से सफल नहीं हो पाता है. उसको उस काम को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है.
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