सोमवार, 30 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी। जी हाँ और हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर भगवान शनि का जन्मोत्सव का त्योहार मनाया जाता है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या पर ही न्याय और कर्म के देवता भगवान शनि का जन्म हुआ था। जी दरअसल ज्येष्ठ अमावस्या पर शनिदेव की विशेष पूजा-आराधना और मंत्रों का जाप करके भगवान शनिदेव को प्रसन्न किया जाता है। आप सभी को बता दें कि ज्योतिष और धर्म के नजरिए से भगवान शनिदेव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि भगवान शनिदेव व्यक्ति को कर्मों के अनुसार ही व्यक्ति को फल प्रदान करते हैं। शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि जयंती का दिन बहुत ही विशेष माना गया है। इस दिन कई उपाय किये जा सकते हैं और आज हम आपको उसी उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
शनि जयंती तिथि और शुभ मुहूर्त
सोमवार, 30 मई को उदय तिथि के कारण इस बार शनि जयंती मनाई जाएगी।
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का आरंभ- 29 मई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से शुरू
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की समाप्ति- 30 मई को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर
शनि जयंती पर ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न-
* ज्योतिष के अनुसार शनि जयंती के मौके पर पीपल की जड़ में कच्चा दूध मिश्रित मीठा जल चढ़ाने व तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। शनि की साढ़ेसाती या ढैया के चलते पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा सुख-शांति में वृद्धि के लिए इस दिन पीपल का वृक्ष रोपना बहुत अच्छा माना गया है।
* ज्योतिष के अनुसार शनिदेव के दिव्य मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का इस दिन जप करने से प्राणी भयमुक्त रहता है।
* कहा जाता है शनिदेव के आराध्य भगवान शिव हैं। ऐसे में शनि दोष की शांति के इस दिन शनिदेव की पूजा के साथ-साथ शिवजी पर काले तिल मिले हुए जल से 'ॐ नमः शिवाय'का उच्चारण करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
* ज्योतिष के अनुसार शनिदेव की प्रसन्नता के लिए जातक को शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए एवं गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से जीवन में आए संकट दूर होने लगते हैं।
* शनिदेव, हनुमानजी की पूजा करने वालों से सदैव प्रसन्न रहते हैं। इस वजह से इनकी कृपा पाने के लिए शनि पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए।
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