शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत बोला जाता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत की बहुत ज्यादा अहमियत होती है। प्रत्येक माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। वर्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत के दिन महादेव और माता पार्वती की विधि- विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत में प्रदोष काल में पूजा करने की काफी ज्यादा अहमियत होती है। महादेव और माता पार्वती की कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार के सुखों का अनुभव होता है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत पूजा-विधि और शिव पूजा सामग्री की पूरी सूची...
शनि प्रदोष व्रत मुहूर्त:-
कार्तिक, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ - 05:06 पी एम, नवम्बर 05
कार्तिक, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त - 04:28 पी एम, नवम्बर 06
प्रदोष व्रत पूजा-विधि:-
* प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर लें।
* नहाने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
* घर के मंदिर में दीप जलाएं।
* यदि संभव है तो व्रत करें।
* महादेव का गंगा जल से अभिषेक करें।
* महादेव को पुष्प अर्पित करें।
* इस दिन महादेव के साथ ही माता पार्वती और प्रभु श्री गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले प्रभु श्री गणेश की पूजा की जाती है।
* महादेव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
* महादेव की आरती करें।
* इस दिन भगवान का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें।
प्रदोष व्रत पूजा-सामग्री:-
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
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