भारत के नौवें राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा अपने काम के प्रति बहुत संजीदा और प्रतिबद्ध रहते थे। वे संसद के नियमों व कानूनों का सख्ती से पालन करने के साथ ही उनका काफी सम्मान करते थे। राष्ट्रपति के तौर पर उनका कार्यकाल 1992 से 1997 तक रहा। कार्यकाल ख़त्म होने के लिए लगभग दो साल बाद 26 दिसंबर 1999 को उनका नई दिल्ली में देहांत हुआ था। देश के लिए उनकी उल्लेखनीय सेवाओं को आज भी याद किया जाता है।
ओमान के दिवंगत सुल्तान काबूस बिन सईद के साथ डॉ शंकर दयाल शर्मा का एक रोचक किस्सा जुड़ा हुआ है, जब सुल्तान काबूस ने तमाम प्रोटोकॉल तोड़कर भारत के राष्ट्रपति के लिए खुद कार चलाई थी। डॉ शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्रपति के तौर पर 1994 में मस्कट का दौरा किया था। बता दें कि ओमान के किंग कभी भी विदेशी गणमान्य अतिथियों को लेने के लिए एयरपोर्ट पर नहीं जाते हैं, लेकिन जब डॉ शंकर दयाल शर्मा मस्कट पहुंचे तो ओमान के सुल्तान काबूस राष्ट्रपति को लेने के लिए एयरपोर्ट पर स्वयं पहुंचे। जब डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा का विमान ओमान पहुंचा, तो सुल्तान खुद उनकी सीट तक गए राष्ट्रपति को उनकी सीट से उठाकर नीचे उतारा।
सुल्तान काबूस यहीं तक सीमित नहीं रहे। डॉक्टर शर्मा को लेने के लिए एयरपोर्ट पर पहुंची कार के साथ ड्राइवर भी था, लेकिन ओमान किंग ने उसे ड्राइविंग छोड़ देने को कहा और राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा को बैठा कर खुद कार ड्राइव कर उन्हें ले गए। बाद में जब मीडिया के लोगों ने सुल्तान से सवाल पुछा कि उन्होंने सभी प्रोटोकॉल क्यों तोड़ दिए, तो सुल्तान का जवाब था कि मैं डॉक्टर शर्मा को लेने एयरपोर्ट पर इसलिए नहीं गया, क्योंकि वह भारत के राष्ट्रपति थे। मैंने भारत में पढ़ाई की है और जिंदगी में कई चीजें सीखी हैं। जब मैं पुणे में पढ़ाई कर रहा था, तो डॉक्टर शर्मा मेरे प्रोफ़ेसर थे और इसी वजह से मैंने उनके लिए सारे प्रोटोकॉल तोड़ दिए।
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