बॉलीवुड के गानों की धुन बनाने वाले जयकिशन का जन्म आज ही के दिन हुआ था. जी हाँ, जयकिशन दयाभाई पांचाल का जन्म 4 नवंबर 1932 को गुजरात में हुआ. वहीं बचपन के दिनों से ही उनका रुझान संगीत की ओर था और उनकी रुचि हारमोनियम बजाने में थी और जयकिशन ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा वेदलाल से हासिल की और प्रेमशंकर नायक से भी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हासिल की. वहीं उस समय जयकिशन पर धुनें बनाने का जुनून इस कदर सवार रहता था कि जब तक वे धुन तैयार नहीं कर लेते, उसमें ही डूबे रहते थे. कहा जाता है अपनी इसी खूबी की वजह से उन्होंने अपना अलग ही अंदाज बनाया और उसके बाद साल 1946 में अपने सपनों को नया रूप देने के लिए जयकिशन मुंबई आ गए और एक फैक्ट्री में टाइमकीपर की नौकरी करने लगे.
इसी दौरान उनकी मुलाकात शंकर से हुई और शंकर उन दिनों पृथ्वी थिएटर में तबला बजाने का काम किया करते थे और उसके नाटकों में छोटे-मोटे रोल भी किया करते थे. कहा जाता है शंकर की सिफारिश पर जयकिशन को पृथ्वी थिएटर में हारमोनियम बजाने का काम दिया गया और इस बीच शंकर और जयकिशन ने संगीतकार हुस्नलाल-भगतराम की शागिर्दी में संगीत सीखना शुरू कर दिया. उसके बाद साल 1948 में राज कपूर अपनी फिल्म बरसात के लिए संगीतकार की तलाश कर रहे थे और उन्होंने शंकर-जयकिशन को मिलने का न्योता भेजा. वहीं राज कपूर शंकर-जयकिशन के संगीत बनाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने शंकर-जयकिशन से अपनी फिल्म बरसात में संगीत देने की पेशकश की.
उसके बाद फिल्म बरसात में उनकी जोड़ी ने 'जिया बेकरार है' और 'बरसात में हमसे मिले तुम सजन' जैसा सुपरहिट संगीत दिया जो सुपरहिट सांग रहे. वहीं बरसात की कामयाबी के बाद शंकर-जयकिशन संगीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए और दोनों की जोड़ी गीतकार हसरत जयपुरी और शैलेन्द्र के साथ काफी पसंद की गई. आपको बता दें कि शंकर-जयकिशन को सर्वाधिक 9 बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. वहीं 12 सितंबर 1971 को जयकिशन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया और संगीतकार शंकर ने भी 26 अप्रैल1987 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
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