वाराणसी: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। वहां के हालात किसी से छिपे नहीं हैं, जहां अल्पसंख्यकों को मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा आए दिन प्रताड़ित किया जा रहा है। इन मुद्दों को लेकर बुधवार को बनारस में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बांग्लादेश से आए एक 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।
रिपोर्ट के अनुसार, इस मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने शंकराचार्य के सामने अपनी चिंताओं और परेशानियों को रखा। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि भारत सरकार बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करे। इस पर शंकराचार्य ने पीड़ितों को आश्वासन दिया कि वे सरकार तक उनकी आवाज पहुंचाएंगे और आवश्यक कदम उठाने की मांग करेंगे।
शंकराचार्य ने कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को केवल उनकी आस्था के कारण ही प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल कई परिवारों ने अपनी पीड़ा साझा की है, जिन्हें जल्द ही सरकार तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हालात बहुत चिंताजनक हैं और वहां मुस्लिम बच्चों तक के मन में नफरत भरी जा रही है। यह स्थिति न केवल मानवता के लिए बल्कि पड़ोसी देश के साथ रिश्तों के लिहाज से भी गंभीर चिंता का विषय है।
इस मुलाकात के बाद शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत आम हिंदू के दर्द को समझने में नाकाम हैं, उन्हें हिन्दुओं की कोई परवाह नहीं। शंकराचार्य ने कहा कि भागवत ने यह बयान दिया है कि कुछ लोग नेता बनने के लिए ऐसे मुद्दों को उठाते हैं, लेकिन मैं साफ कर देना चाहता हूं कि आम हिंदू को नेता बनने की कोई लालसा नहीं है। उन्होंने भागवत पर निशाना साधते हुए कहा कि जब संघ सत्ता में नहीं था, तब वे राम मंदिर के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन अब सत्ता में आने के बाद ऐसे बयानों की कोई जरूरत नहीं है।
शंकराचार्य ने भरोसा दिलाया कि वह जल्द ही सरकार को पत्र लिखकर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर ध्यान देने की अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत को पड़ोसी देश में हो रही इन घटनाओं पर हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि वहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। शंकराचार्य ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने पीड़ित परिवारों को धैर्य रखने की सलाह दी और कहा कि भारत उनके साथ खड़ा है।
मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शंकराचार्य ने कहा कि भागवत ने हिंदुओं की पीड़ा को पूरी तरह नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि जब संघ सत्ता में नहीं था, तब वह हिंदू मुद्दों को लेकर मुखर थे, लेकिन अब सत्ता में आने के बाद वे इन मुद्दों को हल्के में ले रहे हैं। इस पूरे मामले ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के भविष्य को लेकर नई बहस छेड़ दी है। शंकराचार्य के बयान के बाद अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है। उन्होंने साफ किया है कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए वह हरसंभव प्रयास करेंगे। शंकराचार्य ने अंत में कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। ऐसे में भारत को कड़े कदम उठाने चाहिए ताकि वहां के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिल सके और उन्हें अपना जीवन सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार मिल सके।