मुंबई: NCP पर कुछ दिन पहले निर्वाचन आयोग ने बड़ा निर्णय लेते हुए पार्टी का चिह्न एवं नाम अजीत पवार के पास थमा दी। उधर, शरद पवार केवल देखते रह गए। आयोग के निर्णय ने शरद पवार को बैचेन कर दिया है। अब उनका कहना है कि फैसला आश्चर्यजनक था। क्योंकि आयोग ने उन लोगों के हाथों से पार्टी को छीन लिया, जिन्होंने इसे बनाया तथा उसे किसी और को थमा दिया।
वही इस महीने के आरम्भ में निर्वाचन आयोग ने NCP को लेकर बड़ा निर्णय लिया। आयोग ने आधिकारिक रूप से NCP का नाम तथा अलार्म घड़ी अजीत पवार को थमा दी। आयोग के अनुसार, चाचा शरद पवार एवं भतीजे अजीत पवार के बीच NCP में वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। इस मामले में 6 महीने के दरम्यान 10 बार की सुनवाई हुई तथा आयोग ने NCP अजीत पवार को थमा दी। आयोग के अनुसार, अजीत के पास पार्टी के विधायकों का अधिक समर्थन था। इस प्रकरण पर हालांकि शरद पवार खेमा सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर चुका है। मगर, शरद पवार आयोग के इस फैसले से बैचेन हैं। रविवार को शरद पवार ने कहा कि अजीत पवार के नेतृत्व वाले समूह को NCP का नाम तथा चुनाव चिह्न आवंटित करने का चुनाव आयोग का फैसला "आश्चर्यजनक" था क्योंकि चुनाव आयोग ने उन लोगों के हाथों से पार्टी को "छीन" लिया है, जिन्होंने इसे स्थापित किया था।
उन्होंने कहा, "मुझे भरोसा है कि लोग चुनाव आयोग के फैसले का समर्थन नहीं करेंगे, जिसके खिलाफ हमने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।" उन्होंने कहा, चुनाव आयोग ने न केवल हमारा चुनाव चिह्न छीना बल्कि हमारी पार्टी भी दूसरों को सौंप दी। 1999 में NCP की स्थापना करने वाले शरद पवार ने कहा, "चुनाव आयोग ने उन लोगों के हाथों से पार्टी छीन ली जिन्होंने इसे स्थापित किया तथा इसे बनाया एवं इसे दूसरों को दे दिया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।"
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