किसानों के भारत बंद के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पत्र को लेकर घमासान मच चुका है। जी दरअसल हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, 'जब शरद पवार कृषि मंत्री थे तो उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर में निजी क्षेत्र की भागीदारी को लेकर पत्र लिखा था।' अब केंद्रीय मंत्री के इसी बयान पर शरद पवार ने सफाई देते हुए कहा, ''हां मैंने कहा था कि कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) को कुछ सुधारों की जरूरत है। एपीएमसी अधिनियम जारी रहना चाहिए लेकिन सुधारों के साथ। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मैंने पत्र लिखा था। लेकिन उनके तीन अधिनियमों में एपीएमसी का भी उल्लेख नहीं है। वे सिर्फ ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं। महत्व देने की जरूरत नहीं।''
इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि, ''कल अलग-अलग राजनैतिक दलों के 5-6 लोग सामूहिक बैठक कर चर्चा करेंगे। हम राष्ट्रपति के साथ कल शाम 5 बजे मिलने वाले हैं। हम उनके सामने अपना सामूहिक रुख पेश करेंगे।'' वैसे आपको याद हो तो बीते सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रविशंकर ने कहा था, 'शरद पवार जब देश के कृषि और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने देश के सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। जिसमे उन्होंने लिखा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है, प्राइवेट सेक्टर का आना जरूरी है, किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने का अवसर मिलना चाहिए।'' इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा, 'आज जो हमने काम किया है, 8-9 साल पहले मनमोहन सिंह जी की सरकार ये कर रही थी, 2005 में शरद पवार ये बोल रहे थे। जिस समय शरद पवार ये बोल रहे थे कि अगर आप सुधार नहीं करोगे तो हम वित्तीय समर्थन देना बंद कर देंगे। उस समय मनमोहन सिंह जी की सरकार का समर्थन सपा, RJD, CPI और अन्य दल कर रहे थे।''
रविशंकर के इन सभी आरोपों पर एनसीपी ने सफाई देते हुए कहा कि, 'तब उसे लागू करने से राज्य सरकारें कतरा रही थीं इसलिए जब शरद पवार कृषि मंत्री बने तो इन्होंने कृषि बोर्डों से कानून पर आम सहमति बनाने के लिए सुझाव मांगे थे और फिर उसे राज्य सरकारों के समक्ष रखा था। इसके बाद कई राज्य कानून को लागू करने के लिए आगे आए थे।'
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