आश्विन माह की पूर्णिमा का एक विशेष महत्व है. इस पूर्णिमा को भारत में शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस दिन मंदिरों में महत्वपूर्ण आयोजन होते हैं. इस पूर्णिमा की रात का भी काफी महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि इस रात को देवता खुद धरती पर देखने हेतु आते हैं. इसे लेकर एक धार्मिक मान्यता है कि इस रात को आकाश से अमृत की बरसात होती है.
क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व ?
शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का भी विधान है. प्रातः काल जल्द उठकर इस दिन स्नान कर लेना चाहिए. अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य हेतु माताएं इस दिन देवताओं को पूजती है. शरद पूर्णिमा की रात चंद्र देव धरती के बहुत ही निकट होते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि पूर्णिमा की रात में जब मानव शरीर पर चंद्र की किरणें पड़ती है तो यह शुभ संकेत होता है.
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व...
शरद पूर्णिमा पर खीर का भी काफी चलन है. इस दिन गाय के दूध से निर्मित खीर का आपको भगवान को भोग लगाना चाहिए. ध्यान रहें कि आपको खीर में शक़्कर मिलानी है और रात्रि के समय भगवान को भोग लगाना है.
शरद पूर्णिमा पूजा विधि...
शरद पूर्णिमा के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय जी की पूजा करें. आपको उस समय भगवान की पूजा करनी है जब चन्द्रमा आकाश के बिलकुल बीच में स्थित हो. पूजा-अर्चना के बाद और भगवान को खीर का भोग लगाने के बाद आपको खीर से भरा एक बर्तन, कटोरा-कटोरी आदि बहार रखना होगा. अगले दिन इस खीर को ग्रहण करें. बता दें कि पूजन के बाद इस दिन व्रत की कथा सुनना या पढ़ना चाहिए.
पूजन सामग्री...
पूजन सामग्री में आपके पास शिव जी, माता पार्वती और कार्तिकेय जी की प्रतिमा या चित्र, एक लौटा, जल, गेहूं, पत्ते के दोने में रोली चावल, कलश आदि होना चाहिए. इन सामग्री से पूजन के बाद भगवान की वंदना करें और दक्षिणा अर्पित करें.
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