दिल्ली। जनता दल यूनाईटेड के पूर्व अध्यक्ष और सांसद शरद यादव आखिरकार अपनी पार्टी के विरोध के बाद भी राष्ट्रीय राजनीति में यूपीए और आरजेडी का अप्रत्यक्ष समर्थन कर केंद्र की भाजपानीत सरकार का विरोध करने के लिए अग्रसर हो ही गए हैं। शरद यादव ने गुरूवार को कंस्टीट्यूशनल क्लब में आयोजित बैठक सांझी विरासत की पहल में विभिन्न दलों के नेताओं के सम्मिलित होने की संभावना जताई गई है।
इस बैठक में विपक्षी नेताओं को बुलाया गया है। शरद यादव अन्य नेताओं के साथ इस बात पर चिंतन करेंगे जिसमें इस बात पर चर्चा की जाएगी कि आखिर सांझी विरासत को कैसे बचाया जाए। संविधान में जो समानता, एकता, स्वतंत्रता और सहिष्णुता का उल्लेख किया गया और कहा गया कि आखिर संविधान की रक्षा किस तरह से हो। मिली जानकारी के अनुसार गरीब, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, बेरोजगार लोगों को अपना भविष्य नज़र नहीं आ रहा है।
शरद यादव ने कहा कि सभी की जवाबदारी है कि हम इसकी रक्षा करेंगे। हालांकि जेडीयू के प्रधान महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने शरद यादव को लेकर कहा कि हालांकि शरद यादव ने अपनी ओर से रैली में शामिल होने की औपचारिक घोषणा नहीं की है।
मगर शरद यादव से अपील है कि वे इस रैली में शामिल न हों। त्यागी का मानना है कि राजद आसुरी शक्तियों का जमघट है जहां पर जाना शरद यादव के लिए शुभ नहीं है क्योंकि शरद यादव राजनीति में एक उच्च मापदंड स्थापित किये हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। अब तक तीन बार संसद से इस्तीफा दे चुके हैं।
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