छठ महापर्व की जो धूम लोकगायिका शारदा सिन्हा की आवाज से गुलजार हो जाती थी, वह आवाज अब हमेशा के लिए खामोश हो गई है। 72 साल की उम्र में प्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। विशेष रूप से बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश के छठ पूजा मनाने वाले लोग इस खबर से बेहद दुखी हैं।
आखिरी इच्छा थी सुहागन के रूप में दुनिया से विदा लेना
शारदा सिन्हा ने अपने बेटे अंशुमन को अपनी आखिरी इच्छा बताते हुए कहा था कि वह इस दुनिया से सुहागन बनकर विदा लेना चाहती थीं। लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। उनके पति ब्रजकिशोर का लगभग डेढ़ महीने पहले, 22 सितंबर को निधन हो गया था, जिससे शारदा सिन्हा को गहरा सदमा पहुंचा था। उन्होंने अंशुमन से कहा कि उनका अंतिम संस्कार उसी जगह किया जाए, जहां उनके पति का किया गया था।
कैंसर से जूझ रही थीं शारदा सिन्हा
पिछले पांच-छह सालों से शारदा सिन्हा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत अधिक खराब हो गई थी, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 5 नवंबर को छठ महापर्व की शुरुआत होते ही उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
आखिरी विदाई पटना के गुलाबी घाट पर
शारदा सिन्हा की अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलाबी घाट पर किया जाएगा, जहां उनके पति का भी अंतिम संस्कार किया गया था।
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