शारदीय नवरात्रि मतलब देवी मां की आराधना का महापर्व। सनातन धर्म में इस पर्व की खास अहमियत है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी आज 7 अक्टूबर 2021 दिन बृहस्पतिवार से शारदीय नवरात्रि आरम्भ हो गए हैं। इस वर्ष दो तिथियां एक साथ पड़ने के कारण नवरात्रि आठ दिन के हैं। दुर्गा मां का ये पवित्र त्यौहार 14 अक्टूबर को महानवमी को ख़त्म होगा। इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:-
शारदीय नवरात्रि का आरम्भ पहले दिन मां शैलपुत्री के पूजन के साथ होता है। इससे पूर्व विधि विधान के साथ कलश स्थापना की जाएगी। नवरात्रि में कलश स्थापना की खास अहमियत होती है। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में ही कलश स्थापित करना लाभदायक रहेगा।
कलश स्थापना की सामग्री:-
कलश स्थापना के लिए जरुरी सामिग्री को पहले से ही एकत्र कर लें। इसके लिए आपको 7 प्रकार के अनाज, चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र स्थान से लायी गयी मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल वस्त्र तथा पुष्प की आवश्यकता पड़ती है।
ऐसे करनी है कलश स्थापना:-
प्रातः स्नान करके मां दुर्गा, प्रभु श्री गणेश, नवग्रह कुबेरादि की प्रतिमा के साथ कलश स्थापन करें। कलश के ऊपर रोली से ॐ एवं स्वास्तिक लिखें। कलश स्थापना के वक़्त अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की ओर अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर हिस्से में पृथ्वी पर सात तरह के अनाज रखें। संभव हो, तो नदी की रेत रखें। फिर जौ भी डालें। इसके उपरांत कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। फिर 'ॐ भूम्यै नमः' बोलते हुए कलश को सात अनाजों समेत रेत के ऊपर स्थापित करें। अब कलश में थोड़ा और जल या गंगाजल डालते हुए 'ॐ वरुणाय नमः' बोले तथा जल से भर दें। तत्पश्चात, आम का पल्लव कलश के ऊपर रखें। इसके बाद जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें। अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें।
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