1- कबीर दास जयंती
2- हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना, आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मरे, मरम न जाना कोई।
3- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब,
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगो कब।
4- धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घडा, ऋतू आए फल होए।
5- निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय,
बिना पानी, साबुन बिना, निर्माण करे सुभाय।
6- मांगन मरण समान है, मति मांगो कोई भीख,
मांगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख।
7- साईं इतना दीजिए, जा में कुटुम समाय,
मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए।
8- दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय,
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय।
9- तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
10- साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं,
धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं।
11- माला फेरत जग भय, फिर न मन का फेर, कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।
12- जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय,
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय।
13- जैसा भोजन खाइए, तैसा ही मन होय,
जैसा पानी पीजिए, तैसी वाणी होय।
14- कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार,
साधू वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।
15- जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।
16- बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर,
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।
17- कबीरा खड़ा बाजार में, सबकी मांगे खैर,
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर।
18- कहे कबीर कैसे निबाहे, केर बेर को संग,
वह झुमत रस आपनी, उसके फाटत अंग।
19- माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय,
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय।
20- गुरु गोबिंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय,
बलिहारी गुरु आपके, गोविन्द दियो मिलाय।
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