कोच्ची: क्या शशि थरूर भी कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आज़ाद की तरह कांग्रेस से इस्तीफा दे देंगे ? दरअसल, 22 साल बाद कांग्रेस में हुए अध्यक्ष पद के चुनाव में शशि थरूर की पूर्वनिर्धारित शिकस्त के बाद से ही ऐसे कयास लगने लगे थे। गांधी परिवार समर्थित उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे के कंग्रेस्स अध्यक्ष बनने के बाद यह अटकलें शुरू हो गई थी कि कहीं कांग्रेस से थरूर का मोहभंग न हो जाए। हालांकि, चुनाव के फ़ौरन बाद तो ऐसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन बीते कुछ दिनों से पार्टी के अंदर हलचल जरुर मची हुई है।
बता दें कि, शशि थरूर इन दिनों मालाबार दौरे पर हैं। इसको लेकर कांग्रेस भी चिंतित दिख रही है। शशि थरूर ने मंगलवार को अपनी यात्रा जारी रखते हुए यहां UDF-सहयोगी IUML के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करते हुए कहा कि उन्हें किसी से भय नहीं है और किसी को भी उनसे डरने की आवश्यकता नहीं है। दरअसल, मीडिया ने थरूर से पुछा था कि केरल में उनके दौरे से कौन डरता है, इसके जवाब में थरूर ने कहा कि मैं किसी से नहीं डरता और किसी को भी मुझसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी राज्य कांग्रेस के अंदर कोई गुट बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
शशि थरूर की टिप्पणी उन कयासों के बीच काफी महत्व रखती है कि केरल में कांग्रेस नेतृत्व का एक वर्ग उनके बढ़ते समर्थन और राज्य में पार्टी के अंदर एक थरूर गुट के उभरने से आशंकित प्रतीत होता है, जहां पार्टी ने 2016 में प्रतिद्वंद्वी CPM के हाथों सत्ता गंवा दी थी। थरूर ने हालांकि पनक्कड़ में सादिक अली शिहाब थंगल के आवास पर IUML नेताओं के साथ अपनी मीटिंग को यह कहकर अधिक महत्व नहीं दिया कि यह जिले में एक कार्यक्रम के लिये जाते वक़्त हुई महज एक शिष्टाचार भेंट थी।
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