कहते हैं हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं और हर साल चौबीस एकादशियां होती हैं. वहीं जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. जी हाँ, कहते हैं पद्मपुराण में भी एकादशी का बहुत ही महात्मय होता है और उसके पूजन का विधि विधान का भी स्पष्ट किया गया है.
ऐसे में शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्री हरि विष्णु का व्रत पूजन करने से हजारों गुणा फल मिलता है और इस साल 31 जनवरी को माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाने वाला है. कहते हैं अपने नाम के अनुरूप यह व्रत तिलों से जुड़ा हुआ है और हिंदू धर्म में तिल बहुत पवित्र माने जाते हैं. इसी के साथ पूजा में इनका विशेष महत्व बताया गया है.
आइए जानते हैं तिल के प्रयोग. आप सभी को पहले तो यह बता दें कि षटतिला एकादशी के दिन तिलों का छह प्रकार से उपयोग किया जाता है और इसमें तिल का उबटन लगाना, तिल से स्नान करना, तिल से हवन करना, तिल से तर्पण करना, तिल का भोजन करना और तिलों का दान करना माना जाता है. इस कारण से इसे षटतिला एकादशी व्रत कहा जाता है. माना जाता है कि जो मनुष्य विधिविधान पूर्वक षटतिला एकादशी के व्रत को करता है और इस दिन तिलों का दान करता है वह व्यक्ति उतने ही हजार वर्ष तक वह स्वर्गलोक में निवास करता रहता है.
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