Mar 09 2018 02:22 PM
1. झट से बदल दूं, इतनी न हैसियत न आदत है मेरी,
रिश्ते हों या लिबास, मैं बरसों चलाता हूँ.
2. कैसे बदल दूं मैं फितरत ये अपनी,
मुझे तुम्हें सोचते रहने की आदत सी हो गई है.
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