आप सभी को बता दें कि इस साल शीतला अष्टमी का व्रत 25 मार्च दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है. आप सभी जानते ही होंगे कि शीतला अष्टमी को बसोड़ा (Basoda 2022) के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में इस दिन माता शीतला की विधि विधान से पूजा की जाती है. इसी के साथ इस दिन सावधानी पूर्वक सभी नियमों का पालन किया जाता है. कहते हैं शीतला माता की पूजा में अक्षत्, धूप, दीप, गंध, रोली, सिंदूर, कुमकुम, फूल, फल आदि चढ़ाए जाते हैं. वहीं उसके बाद शीतला माता की कथा सुनने के बाद आरती करते हैं। तो आज हम लेकर आए हैं शीतला माता की आरती जो आपको शीतला अष्टमी के दिन करनी चाहिए।
शीतला माता की आरती-
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।
जय शीतला माता.
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,
ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता।
जय शीतला माता.
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,
वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता।
जय शीतला माता.
इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,
सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता।
जय शीतला माता.
घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,
करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता।
जय शीतला माता.
ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,
भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता।
जय शीतला माता.
जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,
सकल मनोरथ पावें भवनिधि तर जाता।
जय शीतला माता.
रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,
कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता।
जय शीतला माता.
बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,
ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता।
जय शीतला माता.
शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,
उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता।
जय शीतला माता.
दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,
भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता।
जय शीतला माता.
शीतला माता की जय हो!!!
25 मार्च को है शीतला अष्टमी, यहाँ जानिए पूजा विधि और महत्व