चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) के रूप में मनाया जाता है। आप सभी को बता दें कि यह त्योहार होली के ठीक आठवें दिन पड़ता है। ऐसे में इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। इस बार यह पर्व 25 मार्च को मनाया जाने वाला है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कैसे आप कर सकते हैं शीतला माता का व्रत?
कैसे करें शीतला माता की पूजा- व्रती को इस दिन प्रातःकालीन नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए। उसके बाद 'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये' मंत्र से संकल्प लेना चाहिए। अब संकल्प के बाद विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें। इसके बाद एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाना, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी आदि का भोग लगाएं। अब अगर आप चतुर्मासी व्रत कर रहे हो तो भोग में माह के अनुसार भोग लगाएं, जैसे- चैत्र में शीतल पदार्थ, वैशाख में घी मीठा सत्तू, ज्येष्ठ में एक दिन पूर्व बनाए गए पूए तथा आषाढ़ में घी शक्कर मिली हुई खीर। वहीं भोग लगाने के बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें यदि यह उपलब्ध न हो तो शीतला अष्टमी की कथा सुनें। इसके बाद रात्रि में जगराता करें दीपमालाएं प्रज्ज्वलित करें।
व्रत का महत्व- कहा जाता है शीतला माता को आरोग्य प्रदान करने वाली देवी बताया गया है। जी हाँ और माना जाता है कि इस दिन जो महिला माता का व्रत रखती है उनका श्रद्धापूर्वक पूजन करती हैं, उनके घर में धन धान्य आदि की कोई कमी नहीं रहती। केवल यही नहीं बल्कि उनका परिवार बच्चे निरोगी रहते हैं और उन्हें बुखार, खसरा, चेचक, आंखों के रोग आदि समस्याएं नहीं होतीं।
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