'6 वर्षीय बच्ची से बलात्कार में शेख आसिफ अली को हुई थी फाँसी, लेकिन HC ने कम कर दी सजा', चौंकाने वाली है वजह
'6 वर्षीय बच्ची से बलात्कार में शेख आसिफ अली को हुई थी फाँसी, लेकिन HC ने कम कर दी सजा', चौंकाने वाली है वजह
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भुवनेश्वर: ओडिशा उच्च न्यायालय ने 6 वर्षीय बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार किया था, तत्पश्चात, बच्ची की मौत हो गई थी। इस मामले में अकील अली एवं आसिफ अली को ट्रायल कोर्ट ने फाँसी की सजा सुनाई थी, किन्तु ओडिशा उच्च न्यायालय ने अकील अली को दोषमुक्त कर दिया तथा आसिफ अली की फाँसी की सजा को बदलकर उम्रकैद कर दिया। कटक स्थित ओडिशा उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘आरोपित दिन में कई बार नमाज अदा करता है, चूँकि उसने स्वयं को अल्लाह को समर्पित कर दिया है, ऐसे में वो कोई भी सजा भुगतने को तैयार है।’

प्राप्त एक रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा उच्च न्यायालय के जस्टिस एस.के. साहू और जस्टिस आर.के. पटनायक की खंडपीठ ने कहा, “सजा अनुपातहीन रूप से बड़ी नहीं होना चाहिए, यह न्यायोचित सजा का एक नतीजा है तथा यह उसी सिद्धांत द्वारा निर्धारित होता है जो निर्दोष को सजा की अनुमति नहीं देता है। अपराध करने पर निर्धारित सजा से ज्यादा कोई भी सजा, निर्दोष को सजा देने जैसा है।” अदालत के आदेश के अनुसार, अकील एवं आसिफ ने 21 अगस्त 2014 को चॉकलेट खरीदने गई 6 वर्षीय बच्ची का अपहरण कर लिया, जिसे बाद में नग्न और बेहोशी की हालत में पाया गया। हॉस्पिटल ले जाने पर डॉक्टरों ने संदेह जताया कि उसके साथ बलात्कार हुआ है। जहाँ से उसे कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया। हॉस्पिटल ले जाते वक़्त उसकी मौत हो गई। उसके चचेरे भाई ने बाद में खुलासा किया कि अपीलकर्ता आसिफ अली और अकील अली उसे जबरदस्ती ले गए थे।

इस मामले में पीड़ित की चाची ने आसिफ एवं अकील के साथ 2 अन्य के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी, जिसमें पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था। ट्रायल कोर्ट ने IPC की धारा 302, 376-डी, 376-ए और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत आरोपी पाया तथा उन्हें फाँसी की सजा सुनाई। इस सजा के खिलाफ अकील एवं आसिफ ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। उच्च न्यायालय ने अकील अली को IPC की धारा 302/376-ए/376-डी और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत सभी आरोपों से बरी कर दिया, साथ ही आसिफ अली को भी IPC की धारा 376-डी के तहत बरी कर दिया। हालाँकि अदालत ने आसिफ को IPC की धारा 302/376-ए और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी पाया तथा उम्रकैद की सजा दी।

अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा, “यह रिकॉर्ड से प्रमाणित है कि अपराध तकरीबन 6 वर्ष की आयु की एक बालिका के साथ सबसे वीभत्स, शैतानी एवं बर्बर तरीके से किया गया था, किन्तु मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है एवं रिकॉर्ड पर ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है कि अपराध पूर्व-नियोजित तरीके से किया गया था। ऐसा लगता है कि दोनों अपीलकर्ताओं ने मृतक को उसके चचेरे भाई (पीडब्लू 17) के साथ देखा था, जब वे चॉकलेट खरीद कर लौट रहे थे तथा इसके बाद मृतक को उठा लिया गया तथा उसके साथ दुष्कर्म किया गया, जिसके चलते उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर चोटें आईं एवं उसकी मृत्यु जननांग पथ पर लगी चोटों के परिणामस्वरूप सदमे एवं रक्तस्राव की वजह से हुई, जो सामान्य प्रकृति में घातक थी।” आगे उच्च न्यायालय ने कहा कि नाबालिग चचेरे भाई को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया गया, जबकि अभियुक्तों को पता था कि वो लोगों को उनके अपराध के बारे में बता देंगे।

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