महंगाई-बेरोज़गारी के कारण शेख हसीना को हटाया? अब खून के आंसू रो रहे बांग्लादेशी!

महंगाई-बेरोज़गारी के कारण शेख हसीना को हटाया? अब खून के आंसू रो रहे बांग्लादेशी!
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ढाका: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। महंगाई ने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए आम जनता की कठिनाइयों को बढ़ा दिया है। मोहम्मद यूनुस की सरकार को अब तीन महीने हो चुके हैं, और इस दौरान महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 में महंगाई दर 10.87 फीसदी तक पहुंच गई, जो पिछले तीन महीनों का उच्चतम स्तर है। महंगाई की चपेट में खाद्य महंगाई भी है, जो अक्टूबर में 12.66 फीसदी तक पहुंच गई है, जो सितंबर से ज्यादा है।

महंगाई की इस स्थिति को लेकर बांग्लादेश की सरकार ने हाल ही में उपायों पर चर्चा की। सरकार ने एक करोड़ परिवारों के लिए चावल की आपूर्ति को दोगुना करने और बाजार निगरानी की रणनीति में बदलाव का निर्णय लिया है। हालांकि, बांग्लादेश बैंक के गवर्नर अहसान एच. मंसूर ने कहा है कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों का असर 12 से 18 महीने में दिख सकता है। इस समय तक जनता को राहत मिलने की संभावना कम है, और बांग्लादेश में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि, बांग्लादेश में तख्तापलट के वक़्त भारत में कई विपक्षी नेताओं और बुद्धिजीवियों ने यह आरोप लगाया था कि महंगाई और बेरोज़गारी के कारण शेख हसीना के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरी थी, जबकि यह एक कट्टरपंथी आंदोलन था, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश में कट्टर इस्लामी शासन लाना था। अब, यह स्थिति वास्तव में सामने आ रही है। बांग्लादेशियों को कट्टर इस्लामी शासन मिल गया है, लेकिन इसके साथ ही महंगाई और बेरोज़गारी ने उनके जीवन को बेहद कठिन बना दिया है। यह समय दूर नहीं जब बांग्लादेश को पाकिस्तान की तरह विदेशी सहायता के लिए अपना हाथ फैलाना पड़ेगा और अपने संसाधन बेचकर बुनियादी जरूरतें पूरी करनी होंगी।

यह स्थिति इस बात का प्रतीक है कि जब लोग विकास की बजाय मजहबी कट्टरपंथ को चुनते हैं, तो देश किस तरह आर्थिक संकट और सामाजिक परेशानियों का शिकार हो जाता है।

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