बॉलीवुड फिल्ममेकर शेखर कपूर का कहना है कि कैसे उनकी पहली ही फिल्म में उन्होंने रिस्क लेकर काम किया था और ऐसा इसलिए क्योंकि जिस दौर में एक दमदार विलेन फिल्म का अहम हिस्सा होता था उस दौर में 'मासूम' बनाना एक जोखिम का काम भी होता था और अब फिल्म के रिलीज होने के 36 साल बाद शेखर कपूर द्वारा उस दौर के अनुभवों को साझा किया गया है.
शेखर कपूर द्वारा साल 1983 में आई फिल्म 'मासूम' से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा गया था और उस वक्त कई लोगों द्वारा उनसे फिल्म की स्क्रिप्ट को बदलने का आग्रह किया गया था. शेखर कपूर का कहना है कि उन्हें खुशी है कि उन सभी आवाजों को खामोश करने और अपने दृष्टिकोण का अनुसरण करने का साहस उनके पास था. हाल ही में इस फिल्म के पोस्टर को साझा करते हुए शेखर द्वारा ट्विटर पर लिखा है कि, "कई सारे लोग चाहते थे कि मैं 'मासूम' के स्क्रिप्ट को बदल दूं."
आगे फिल्मकार ने कहा, "जो लोग मशहूर, अनुभवी और ज्ञानी थे, उन्होंने मुझसे कहा था कि फिल्म में कोई ड्रामा नहीं है, विलेन नहीं है. मैं तब नया, अनजान, अकुशल और अप्रशिक्षित था, हालांकि मैं बागी था और इसके लिए मैं भगवान का शुक्रगुजार भी हूं." बता दें कि 1983 में आई फिल्म 'मासूम' में नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी के साथ बाल कलाकार के तौर पर जुगल हंसराज और उर्मिला मातोंडकर भी नजर आए थे.
So many people that ‘Knew’ wanted me to change the script of this film. People that were famous, experienced and ‘knowledgeable’. Told me it had no drama, no villain. I was naive unknown unskilled untrained. But rebellious. Thank God for that ! pic.twitter.com/Gb6Co3eOo1
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) August 1, 2019
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