इस्लामाबाद: 1947 में भारत से अलग होकर इस्लामी मुल्क बना पाकिस्तान अपनी कट्टरपंथी नीतियों के कारण ही इस समय आर्थिक तंगी, प्राकृतिक आपदा, राजनितिक अस्थिरता, आतंकी हमले जैसी चौतरफा मुसीबतों से घिर चुका है। हालाँकि, अब भी पाकिस्तान के सिर से कटटरपंथ का भूत उतरने का नाम नहीं ले रहा है। अपने आप को मुसलमानों का मसीहा बताने वाले पाकिस्तान ने मुस्लिमों के ही मुहर्रम पर्व पर कई तरह की पाबंदियां लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। इनमें धारा 144 भी शामिल है, जिसका मतलब है कि 4 लोग एक जगह इकठ्ठा नहीं हो सकते। अब आदेश के अनुसार, जब 4 लोग ही एक जगह नहीं जुटेंगे, तो क्या जुलुस एक बंदा निकालेगा ?
इसके अलावा पड़ोसी मुल्क ने मुहर्रम पर पाबंदियों की बाबत लंबा चौड़ा आदेश जारी किया है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को खैबर पख्तूनवा तथा अन्य इलाकों से जोड़ने वाली सड़क को 2 दिन के लिए बंद रखने एक आदेश है। वहीं। भारत के जम्मू-कश्मीर में 370 हटने के कारण 33 साल के लम्बे अरसे बाद मुहर्रम का जुलूस बिना किसी पाबंदी के पूरी शांति और सद्भाव के साथ निकाला गया।
दरअसल, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा इलाके में प्रशासन ने बीते दिनों सभी जिला उपायुक्तों से मुहर्रम पर्व पर उनकी सिफारिशें मांगी थीं, जहां कथित तौर पर कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंतनीय बताई गई थी। साथ ही उनसे यह राय भी मांगी गई थी कि वह मुहर्रम जुलूस के अवसर पर प्रशासन से और क्या सहायता चाहते हैं, जिनमें मोबाइल फोन सेवा ठप करने जैसी सुविधाएं भी शामिल थीं।
इसके बाद पाकिस्तान प्रशासन ने खैबर पख्तूनख्वा इलाके में विशेष सुरक्षा व्यवस्था लागू करने के नाम पर मुहर्रम की 9, 10 और 11 तारीख को जुलूस निकालने पर कई किस्म की बंदिशें लागू कर दीं। इन पाबंदियों में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लक्की, मारवात, एबटाबाद, डीआई खान, हंगू, ओरकजई, करम, कोहाट, पेशावर, टैंक, बन्नू, हरिपुर, मनसेहरा, मर्दन, नौशेरा सहित कई क्षेत्रों में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवा अस्थायी तौर पर बंद कर दी गई है। बता दें कि, पाकिस्तान एक सुन्नी बहुसंख्यक देश है, जिसमें 76% आबादी पाकिस्तानी सुन्नी और 10-15% शिया होने का अनुमान है। ऐसे में सुन्नी बहुल देश में शियाओं के लिए मुहर्रम का जुलुस निकालना भी दूभर हो रहा है, जबकि हिन्दू बहुल भारत में शियाओं ने बिना किसी बंदिश के अपने पारम्परिक तरीके से जुलुस निकाला और प्रशासन ने उन्हें पूरी मदद और सुरक्षा दी।
इसके साथ ही, मुहर्रम के दौरान शहरों के अंदर मुस्लिम अफगान शरणार्थियों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया है और उन्हें निर्दिष्ट शिविरों के भीतर रहने का आदेश दिया गया है। स्पष्ट तौर पर मुस्लिम अफगानों को कहा गया है कि वह मुहर्रम के जुलूस में बिलकुल शामिल ना हों, वरना उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी। जहां-जहां भी अफगान शरणार्थी मौजूद हैं, वहां पुलिस प्रशासन से कहा गया है कि इस आदेश को कड़ाई से पालन कराया जाए।
कई जिलों में धारा 144 लागू
पाकिस्तान सरकार ने मुहर्रम के त्यौहार पर कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है, जिसका मतलब है कि एक जगह चार से अधिक लोग एकत्रित नहीं हो सकते। ऐसी स्थिति में शिया मुस्लिमों के लिए जुलुस निकालना एक तरह से प्रतिबंधित ही है, क्योंकि जब लोग ही इकट्ठे नहीं हो सकेंगे तो जुलुस कैसे निकलेगा। इसके अलावा हथियारों का प्रदर्शन, वाहनों पर दोहरी सवारी, किसी भी गाड़ी की खिड़कियों पर रंगीन पर्दे या फिल्म का इस्तेमाल सख्त प्रतिबंधित बताया गया है। इन इलाकों में बाकायदा बड़े पैमाने पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं, जिससे वहां के ताजा स्थिति की जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और सेना को मिलती रहे।
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