महाराष्ट्र में शिंदे गुट को लगा झटका! 7 पूर्व पार्षदों ने थामा ठाकरे का दामन

महाराष्ट्र में शिंदे गुट को लगा झटका! 7 पूर्व पार्षदों ने थामा ठाकरे का दामन
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मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना को बड़ा झटका लगा है। कल्याण-डोंबिवली में शिंदे गुट के कई नेताओं ने उद्धव ठाकरे का साथ चुन लिया है। रविवार को शिंदे समूह के युवा सेना सचिव दीपेश म्हात्रे, सात नगरसेवकों एवं सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ शिवसेना के ठाकरे गुट में सम्मिलित हो गए। ये नेता ठाकरे समूह के प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास 'मातोश्री' में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

कुछ दिन पहले शिंदे गुट के विधायक एवं मंत्री रवींद्र चव्हाण और दीपेश म्हात्रे के बीच विवाद हुआ था, जिससे म्हात्रे नाराज चल रहे थे। अब डोंबिवली में ठाकरे गुट ने शिंदे गुट को बड़ा झटका दिया है। शिंदे गुट के प्रदेश सचिव दीपेश म्हात्रे ने अपने साथियों के साथ शिवसेना ठाकरे गुट में सम्मिलित होकर उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में मशाल थामी। दीपेश म्हात्रे के साथ उनके भाई और पूर्व पार्षद जयेश म्हात्रे, रूपेश म्हात्रे, रत्नताई म्हात्रे, सुलोचना म्हात्रे, संगीता भोईर, वसंत भगत, और संपतताई शेलार समेत सात पूर्व पार्षद भी शिवसेना में सम्मिलित हुए। इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि यदि यह निर्णय थोड़ा पहले लिया गया होता, तो गुंडागर्दी और अत्याचार लोकसभा में ही समाप्त हो जाते।

उन्होंने कहा कि कल्याण-डोंबिवली शिवसेना, हिंदुत्व और शिव राय का गढ़ है, जहां अब गद्दारी का दाग लगा है। उन्होंने इस दाग को धोकर भगवा को मशाल बनाकर जलाने की अपील की। ठाकरे ने कल्याण-डोंबिवली को फिर से शिवसेना का मजबूत गढ़ बनाने का आह्वान किया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि कई लोगों को यह गलतफहमी हो गई थी कि उन्होंने बालासाहेब के विचारों को छोड़ दिया है और शिवसेना हिंदुत्व से दूर हो गई है। उन्होंने कहा, "आपकी आंखों पर जो पट्टी बंधी थी, वह अब खुल गई है। अब आपको समझ आ गया है कि असली हिंदुत्व और शिवसेना बालासाहेब के विचारों से दूर नहीं गए हैं। महाराष्ट्र को बेचना कभी भी बालासाहेब का विचार नहीं था और न ही हो सकता है।"

आगे उन्होंने कहा, "हम आत्मसम्मान के साथ जिएंगे, कंगाली में नहीं। हिन्दू हृदय सम्राट ने हमें सिखाया था कि यदि एक दिन जीना है तो बकरी की तरह नहीं, बल्कि शेर की तरह जियो। मुझे खुशी है कि आप वापस आ गए। अगर यह फैसला थोड़ा पहले लिया गया होता, तो गुंडागर्दी लोकसभा में ही खत्म हो गई होती।" उद्धव ठाकरे ने कहा कि सत्ता, पैसा एवं अंधराष्ट्रवाद के बावजूद, शिवसेना-प्रेमी मतदाताओं ने साधारण कार्यकर्ताओं को 4 लाख वोट दिए और उन लोगों की जीत सुनिश्चित की।

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