नई दिल्ली : जैसे कि पहले ही आशंकाएं व्यक्त की जा रही रही थी, कि शिव सेना और भाजपा का यह गठबंधन लम्बा नहीं चल पाएगा.आखिर वही हुआ आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एनडीए की पुरानी सहयोगी रही शिवसेना ने गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी है. इस फैसले से नरेंद्र मोदी की एनडीएन सरकार को बड़ा झटका लगा है.
इस बारे में शिवसेना सांसद और पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि शिव सेना ने वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला लिया है.शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस पर मुहर भी लग गई है. 2019 का लोकसभा चुनाव शिवसेना एनडीएन गठबंधन से अलग होकर लड़ेगी. यही नहीं महाराष्ट्र में अगला विधानसभा चुनाव में भी शिवसेना अकेले दम पर उतरेगी .
उल्लेखनीय है कि हिंदुत्व की राजनीति करने वाली शिवसेना और बीजेपी के बीच यह गठबंधन 1999 में हुआ था. तब बाला साहेब ठाकरे पार्टी के मुखिया थे. बीजेपी के साथ गठबंधन में 1999 से साल 2014 तक शिवसेना महाराष्ट्र में विपक्ष की भूमिका थी. 25 साल पुराना ये गठबंधन साल 2014 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा में सीटों के विवाद के कारण टूट गया था. लेकिन बाद में बीजेपी को बढ़त मिलने के बाद शिवसेना ने फिर से अपना समर्थन दे दिया था. लेकिन दोनों के बीच खटपट होने की खबरें आती रहती थी . शिव सेना का रवैया हमेशा आलोचनात्मक ही रहा.मोदी सरकार को भी उनकी नीतियों को लेकर घेरा.
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