मुंबई: शिसवेना के मुखपत्र सामना में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जमकर प्रशंसा की गई हैं. सामना में लिखा है अमित शाह कश्मीर जाकर आए और श्रीनगर में बैठकर उन्होंने जम्मू कश्मीर के हालातों पर चर्चा की. अमित शाह के दौरे की विशेषता समझ लेनी चाहिए. सामना में लिखा है कि पिछले 30 सालों में जब-जब देश के गृहमंत्री कश्मीर पहुंचे हैं तब-तब वहां के अलगाववादियों ने उनका स्वागत 'पटाखे' फोड़कर अलग ही ढंग से किया है.
केंद्रीय गृहमंत्री के आगमन से पूर्व ही निषेध स्वरूप कश्मीर बंद का ऐलान होता था. हुर्रियत आदि संगठन गृहमंत्री का धिक्कार व्यक्त करते हुए बंद का ऐलान करके पाक प्रेम प्रदर्शित करते थे. यह नाटक इस बार बंद हो चुका है. अमित शाह कश्मीर पहुंच गए. किन्तु उनके निषेधार्थ बंद का ऐलान करने की हिम्मत अलगाववादियों ने नहीं दिखाई. ये नए गृहमंत्री का रुआब और केंद्र सरकार की धाक है. इसके पहले भी जब कोई प्रधानमंत्री श्रीनगर पहुंचता तब भी बंद का ऐलान होता था. अमित शाह के दिल्ली से कश्मीर पहुंचने के पहले ही पुख्ता बंदोबस्त किया गया था.
सामना में लिखा है कि यह अत्यंत आशावादी नज़ारा है. इससे कश्मीर की जनता और सुरक्षाबलों को जो संदेश गया है, वो उनका मनोबल बढ़ाने वाला है. कश्मीर पर हिंदुस्तान सरकार की ही हुकूमत चलेगी, धिक्कार आदि व्यक्त किया तो पहले ये समझ लेना कि मुकाबला हमसे है, यह ऐसा तमाचा है. सरदार पटेल हैदराबाद के निजाम को इसी तरीके से रास्ते पर लाए थे. देश की रियासतों को इसी प्रकार विलीन किया गया था.
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