मुंबई: सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे इस समय शिवसेना के मुखपत्र सामना में निशाने पर आ गए हैं। जी दरअसल आज वह भूख हड़ताल पर बैठने वाले थे लेकिन उन्होंने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। ऐसे में अन्ना के इस फैसले पर शिवसेना के मुखपत्र सामना की संपादकीय में निशाना साधा है। जी दरअसल शिवसेना ने सामना में 'अन्ना किसकी ओर' शीर्षक से संपादकीय लिखा है। इसमें अन्ना के अनशन से हटने पर कई सवाल पूछे गए हैं। आपको बता दें कि अन्ना 83 साल के हैं और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बीते शुक्रवार देर शाम महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में अनशन नहीं करने की घोषणा की थी।
ऐसे में हाल ही में शिवसेना ने सामना में लिखा है, 'अन्ना द्वारा अनशन का अस्त्र बाहर निकालना और बाद में उसे म्यान में डाल देना, ऐसा इससे पहले भी हो चुका है। इसलिए अभी भी हुआ तो इसमें अनपेक्षित जैसा कुछ नहीं था। भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए आश्वासन के कारण अन्ना संतुष्ट हो गए होंगे तो यह उनकी समस्या है। किसानों के मामले में दमन का फिलहाल जो चक्र चल रहा है, कृषि कानूनों के कारण जो दहशत पैदा हुई है बुनियादी सवाल उसे लेकर है। इस संदर्भ में एक निर्णायक भूमिका अण्णा अख्तियार कर रहे हैं और उसी दृष्टिकोण से अनशन कर रहे हैं, ऐसा दृश्य निर्माण हुआ था। परंतु अन्ना ने अनशन पीछे ले लिया। इसलिए कृषि कानून को लेकर उनकी निश्चित तौर पर भूमिका क्या है, फिलहाल तो यह अस्पष्ट ही है।'
इसी के साथ सामना में शिवसेना ने आगे लिखा है, 'किसानों का मुद्दा राष्ट्रीय है। लाखों किसान सिंघु बॉर्डर पर 30 दिन से सरकार से संघर्ष कर रहे हैं। सरकार उनके आंदोलन को कुचलने चली है। गाजीपुर बॉर्डर पर सरकार ने किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। बिजली-पानी, अन्न-रसद आदि की आपूर्ति रोक दी है। मानो किसान अंतर्राष्ट्रीय भगोड़े हैं। मादक पदार्थों के आर्थिक गुनहगार हैं, ऐसा तय करके उनके खिलाफ `लुकआउट’ नोटिस जारी की गई है। यह झकझोरनेवाली बात है। अन्ना हजारे का इस घटनाक्रम पर निश्चित तौर पर क्या मत है?' वैसे सामना में आए दिन कई लोगों को निशाने पर लिया जाता है और तीखे सवारों में कटाक्ष लिखे जाते हैं।
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