मुंबई: शिवसेना संकटों के भंवर में फंसी है लेकिन इस बीच भी संजय राउत तंज कसने में पीछे नहीं है। आपको पता हो बीते कल एकनाथ शिंदे के साथ 55 में से 40 विधायकों की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को पहले सत्ता से हाथ धोना पड़ा और अब बात पार्टी पर बन आई है। जी हाँ और उद्धव ठाकरे के साथ पार्टी के जो 15 विधायक बचे हैं, उनमें आदित्य ठाकरे को छोड़कर 14 विधायकों की सदस्यता भी खतरे में है। वहीं स्पीकर की ओर से अयोग्यता की नोटिस को विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जी दरअसल उद्धव ठाकरे अब पार्टी बचाने के लिए चुनाव आयोग की दर पर हैं तो वहीं दूसरी तरफ शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत अलग ही अंदाज में नजर आ रहे हैं।
जी दरअसल ठाकरे परिवार इस समय पार्टी पर कंट्रोल के लिए जूझ रहा है वहीं दूसरी तरफ संजय राउत शेर-ओ-शायरी कर तंज कस रहे हैं। जी दरअसल, संजय राउत ने एक शायरी ट्वीट की है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, 'फन कुचलने का हुनर भी सीखिए, सांप के खौफ से जंगल नहीं छोडा करते।' इसी के साथ संजय राउत ने अपने ट्वीट के अंत में 'जय महाराष्ट्र!!' भी लिखा है। जी दरअसल संजय राउत शायराना अंदाज में नजर आ रहे हैं हालाँकि इसी के साथ शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये तेवर दिखा दिए हैं। जी दरअसल शिवसेना के बागियों ने जिस भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सूबे में सरकार बनाई है, सामना के जरिये पार्टी उसके खिलाफ आक्रामक है। सामना के जरिये शिवसेना ने महंगाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। जी दरअसल सामना में लिखा है कि जरूरी वस्तुओं के दाम आसमान पर पहुंचाने के बाद अब मोदी सरकार ने किचन की जरूरी वस्तुओं पर भी जीएसटी का वार किया है। दिल्लीश्वरों ने गरीब और मध्यम वर्ग की कमर तोड़ने का निश्चय कर लिया है। रसोईघर में प्रतिदिन इस्तेमाल की जानेवाली दही, छाछ, पनीर, पैकेट बंद आटा, चीनी, चावल, गेहूं, सरसों, जौ पर पहली बार ही पांच फीसदी जीएसटी लगाई गई है। डेयरी उत्पाद और अनाज के साथ गरीब और मेहनतकश लोग जो लाई वगैरह का सेवन करते हैं, उस पर भी जीएसटी लगा दी गई है।
इसके अलावा सामना में सरकार पर तंज करते हुए लिखा है कि 'अच्छे दिन' का गाजर तो सरकार ने पहले ही तोड़कर खा लिया है। ये सपना दिखाकर सत्ता में आने वालों को कम-से-कम जीवन से जुड़ी आवश्यक वस्तुओं की दर बढ़ाने के पहले 'जन' की नहीं तो 'मन' की सुननी चाहिए थी। घर की प्रतिदिन की रसोई महंगी करने का यह फरमान जारी करते समय सरकार और वित्त मंत्री का हाथ जरा भी कांपा नहीं होगा क्या? हैरानी ये है कि पांच साल पहले जब सामान्य कर प्रणाली के रूप में सरकार ने जीएसटी को अस्तित्व में लाया उस समय उसका गुणगान करते हुए खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही जीवनावश्यक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगेगी, ऐसा ऐलान किया था। इसी के साथ सामना के जरिये शिवसेना ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है।
शिवसेना ने कहा है कि पीएम मोदी खुद बोले थे कि गेहूं, चावल, दही, लस्सी, छाछ पर पहले टैक्स लगता था। अब जीएसटी आने के बाद ये तमाम वस्तुएं टैक्स फ्री रहेंगी। अब उनकी ही सरकार ने इन वस्तुओं पर पांच फीसदी जीएसटी लगा दिया है। पूर्ण बहुमत के कारण शासक को क्या आम जनता को इतना हल्के में लेना चाहिए? सामान्य जनता के हितों की ओर आंख बंद करके मनमानी राजकाज किया तो क्या होता है, इसका ताजा उदाहरण श्रीलंका के रूप में पूरी दुनिया के सामने है। सत्ता के कारण आई शेखी और अहंकार से ही ऐसा निर्णय लिया जाता है। घर-घर में पहले ही जले चूल्हे की आग में जीएसटी का तेल उड़ेलनेवाला निर्णय इसी प्रकार का है। केवल यही नहीं बल्कि अन्य कई बातों के जरिये तंज कसा गया है।
शिवसेना को एक और बड़ा झटका, अब इन्होने दिया इस्तीफा
शिवसेना में नियुक्त हुए 100 नए पदाधिकारी, शिंदे कैंप के समर्थकों को किया जा रहा बर्खास्त
मुंबई के पूर्व कमिश्नर की कंपनी पर जासूसी का आरोप, ED को मिले सबूत