भारत की राजधानी दिल्ली में हिंसा को लेकर शिवसेना ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया है. पार्टी ने गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछा है कि शाह कहां थे? क्या कर रहे थे? सामना में प्रधानमंत्री के तीन दिन बाद शांति के आवाहन करने पर उन्हें भी घेरा है. पार्टी का कहना है कि देश की राजधानी में 37 लोग मारे गए उनमें पुलिसकर्मी भी हैं तथा केंद्र का आधा मंत्रिमंडल उस समय अमदाबाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को सिर्फ ‘नमस्ते, नमस्ते साहेब’ कहने के लिए गया था.
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इसके अलावा सामना में लिखा है कि, 'केंद्र में कांग्रेस अथवा दूसरे गठबंधन की सरकार होती तथा विरोधी सीट पर भारतीय जनता पार्टी का महामंडल होता तो दंगों के लिए गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा गया होता. गृहमंत्री के इस्तीफे के लिए दिल्ली में मोर्चा व घेराव का आयोजन किया गया होता. राष्ट्रपति भवन पर धावा बोला गया होता. गृहमंत्री को नाकाम ठहराकर ‘इस्तीफा चाहिए’ ऐसी मांग की गई होती, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि भाजपा सत्ता में है और विपक्ष कमजोर है. फिर भी सोनिया गांधी ने गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा है.'
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि प्रधानमंत्री के शांति की अपील को लेकर निशाना साधते हुए सामना में लिखा है कि केंद्रीय गृहमंत्री व उनके सहयोगी अमदाबाद में थे, उसी समय गृहविभाग के एक गुप्तचर अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या दंगों में हो गई. लगभग तीन दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शांति बनाए रखने का आह्वान किया. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल चौथे दिन अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली की सड़कों पर लोगों से चर्चा करते दिखे, इससे क्या होगा? जो होना था वो नुकसान पहले ही हो चुका है.
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