लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में, जिसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र के रूप में जाना जाता है (यहां लगभग 75% मुस्लिम आबादी है), एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। नखासा थाना क्षेत्र के मोहल्ला खग्गू सराय में 46 साल से बंद पड़े भगवान शिव के एक प्राचीन मंदिर को प्रशासन ने शनिवार को फिर से खोल दिया। यह मंदिर बिजली चोरी और अवैध अतिक्रमण के खिलाफ डीएम और एसपी की संयुक्त छापेमारी के दौरान मिला।
#WATCH | Uttar Pradesh: A temple has been reopened in Sambhal.
— ANI (@ANI) December 14, 2024
Patron of Nagar Hindu Sabha, Vishnu Sharan Rastogi claims that the temple has been re-opened after 1978. pic.twitter.com/UQdzODtuYa
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह मंदिर 1978 से बंद था। मंदिर में शिवलिंग को देखकर पुलिसकर्मियों ने इसकी सफाई करवाई और इसे जनता के लिए खोल दिया। यह मंदिर सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क के घर के पास स्थित है, लेकिन इसे इतने वर्षों तक क्यों बंद रखा गया, यह सवाल अब चर्चा में है।
नगर हिंदू सभा के संरक्षक विष्णु शरण रस्तोगी ने इस विषय पर कहा, "हम खग्गू सराय इलाके में ही रहते थे। 1978 के बाद हमने घर बेच दिया और इलाका छोड़ दिया। यह भगवान शिव का मंदिर है, लेकिन इस जगह पर कोई पुजारी नहीं रह सकता था। किसी पुजारी ने यहां रहने की हिम्मत नहीं की। 15-20 हिन्दू परिवार इस इलाके को छोड़कर चले गए, इसलिए मंदिर को बंद कर दिया गया था। यह मंदिर 1978 से बंद था और आज इसे पुलिस की मेहरबानी से खोला गया है।"
#WATCH | Sambhal, UP: Patron of Nagar Hindu Sabha, Vishnu Sharan Rastogi says, "We used to live in the Khaggu Sarai area...We have a house nearby (in the Khaggu Sarai area)...After 1978, we sold the house and vacated the place. This is a temple of Lord Shiva...We left this area… https://t.co/APfTv9dpg8 pic.twitter.com/yLOa1YycOg
— ANI (@ANI) December 14, 2024
विष्णु शरण रस्तोगी के इस बयान ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आखिर पुजारी ने यहां रहने की हिम्मत क्यों नहीं की? स्थानीय लोगों के मुताबिक, इलाका छोड़ने वाले हिंदुओं को किसी तरह का खौफ महसूस हुआ। सवाल उठता है कि यह खौफ किस वजह से था और क्या इसके पीछे इस्लामी कट्टरपंथियों की भूमिका थी?
मंदिर सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क के घर से कुछ ही दूरी पर है। यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या उन्हें इस मंदिर के बारे में जानकारी नहीं थी? अगर थी, तो उन्होंने इसे खुलवाने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया? इसी इलाके से उनके दादा शफीकुर रहमान भी वर्षों तक सपा सांसद रहे हैं। क्या उन्होंने भी इस मंदिर के बंद होने की अनदेखी की?
संभल जैसे मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदू मंदिर का 46 साल तक बंद रहना इस बात की आशंका को ताकत देता है कि यहां धार्मिक असहिष्णुता का माहौल रहा होगा। यह सवाल उठता है कि क्या मंदिर में जबरन मूर्ति पूजा बंद करवाई गई थी? क्या यह कट्टर इस्लामी विचारधारा के प्रभाव का परिणाम था?
हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब मुस्लिम बहुल इलाकों से हिंदुओं के पलायन की बात सामने आई हो। ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ अन्य समुदायों के लिए समस्याएं बढ़ी हैं। संभल इसका एक उदाहरण है, जहां हिंदू पुजारी और परिवार इलाका छोड़ने को मजबूर हुए। कश्मीर, कैराना, करौली, जैसे कई इलाकों से हिन्दुओं के पलायन की खबरें आती रही हैं।
आखिर, भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक हिंदुओं को अपनी आस्था का पालन करने में डर का सामना क्यों करना पड़ता है? यह डर किस वजह से पैदा हुआ, और प्रशासन इसे रोकने में क्यों विफल रहा? क्या यह जरूरी नहीं कि ऐसे मामलों की गहन जांच हो? संभल में भगवान शिव का यह मंदिर 46 साल बाद खुला है, लेकिन इसके साथ ही कई ऐसे सवाल खड़े हुए हैं जिनका जवाब प्रशासन और राजनेताओं को देना होगा। धार्मिक सहिष्णुता और कानून-व्यवस्था के प्रति जनता का विश्वास बहाल करने के लिए इन सवालों पर कार्रवाई आवश्यक है।