हर साल नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है और इस साल यह पर्व 26 सितंबर से शुरू हो चुका है। ऐसे में अगर तंत्रचूड़ामणि के बारे में बात करें तो तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। वहीं देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। वैसे तो साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं लेकिन तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं रामगिरि शिवानी चित्रकूट शक्तिपीठ के बारे में।
कैसे बने ये शक्तिपीठ : कहा जाता है जिस समय महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। उस दौरान जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। इसी के साथ पौराणिक कहानियों के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है।
रामगिरि- शिवानी शक्तिपीठ : यह शक्तिपीठ उत्तरप्रदेश के झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर स्थित है। कहा जाता है यहाँ माता का दायां वक्ष गिरा था। जी हाँ और इसकी शक्ति है शिवानी और भैरव को चंड कहते हैं। वहीं कुछ लोग मैहर (मध्य प्रदेश) के शारदा देवी मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं। आपको बता दें कि चित्रकूट में भी शारदा मंदिर है। वहीं रामगिरि पर्वत चित्रकूट में है और चित्रकूट हजरत निजामुद्दीन-जबलपुर रेलवे लाइन पर स्थित है। स्टेशन का नाम 'चित्रकूटधाम कर्वी' है। आपको यहाँ जाने के लिए यह जानना जरुरी है कि यह लखनऊ से 285 कि।मी।, हजरत निजामुद्दीन से 670 कि.मी. दूर है। वहीं मानिकपुर स्टेशन से 30 कि।मी। पहले चित्रकूटधाम कर्वी है।
41 मंगलवार दर्शन करने पर मन्नत पूरी कर देती हैं माता विशालाक्षी
नवरात्रि में भूल से भी ना करें ये 4 काम वरना नाराज हो जाएंगी माँ