हमारे देश में देवी देवताओं के काफी मंदिर हैं. वहीं पिथौरागढ़ से 70 किलोमीटर दूर स्थित कस्बा थल में भगवान शिव का एक मंदिर है, जिसे एक हथिया मंदिर कहा जाता है. किसी भी मंदिर में जाने से कोई नहीं रोक सकता. लेकिन कहा जाता है ये एक शापित मंदिर है, जहां पूजा-अर्चना वर्जित है. एक हथिया का अर्थ है एक हाथ से बना हुआ मंदिर. यहां न तो लोग आते हैं और ना ही पूजा अर्चना की जाती है. आइये जानते हैं इसकी पीछे की कहानी.
सबसे पहले बता दें, इस मंदिर को कारीगर ने अपने एक हाथ से पूरी रात में बना दिया था. यहां स्थापित शिवलिंग चट्टान को काट कर बनाया गया है. मंदिर का साधारण प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा की तरफ है. मंदिर के मंडप की ऊंचाई 1.85 मीटर और चौड़ाई 3.15 मीटर है. कहा जाता है कि एक मूर्तिकार पत्थरों को काटकर प्रतिमाएं बनाता था. एक बार किसी दुर्घटना में उसका एक हाथ चला गया. वह अपने एक हाथ से ही मूर्तियां बनाने लगा. लेकिन गांव वालों को ये मंजूर नहीं था.
एक रात वह गांव के दक्षिण छोर की ओर गया, जहां गांव वाले शौच आदि के लिए जाते थे. वहां एक विशाल चट्टान थी. वहां उसने चट्टान को काटकर देवालय बना दिया था. जब सुबह गांव वाले वहां गए तो वे हैरान रह गए. गांव वालों ने कारीगर को ढूंढा लेकिन वह नहीं मिला.
जब स्नानीय पंड़ितों ने मंदिर में बने शिवलिंग और प्रतिमा को देखा तो पता चला कि मूर्तिकार ने शीघ्रता में शिवलिंग का अरघा विपरीत दिशा में बना दिया है. जिसकी पूजा करना फलदायी नहीं होता. ऐसी प्रतिमा की पूजा करना अशुभ होता है. जिसके कारण यहां स्थापित शिवलिंग की पूजा नहीं होती. लेकिन पास ही बने जल सरोवर में बच्चों के मुंडन संस्कार के बाद स्नान कराया जाता है.
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