नई दिल्ली: बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी परिसर में मिले 'शिवलिंग' की वैज्ञानिक पद्धति से जांच कराने के मामले में हिंदू पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। हिंदू पक्ष ने कहा है कि, मुस्लिम पक्ष द्वारा शिवलिंग को ‘फव्वारा’ बताकर लगातार अपमानित किया जा रहा है, जबकि शिवलिंग न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में हिंदुओं के लिए आस्था और पूजा का विषय है। इसलिए उन्हें देवता की पूजा करने का मौलिक अधिकार है। हिन्दू पक्ष ने कहा है कि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि 16 मई 2022 को मिली संरचना एक फव्वारा है या शिवलिंग, इस तथ्य का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ की राय की आवश्यकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू पक्ष ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के विशेषज्ञों के एक पैनल से विवादित स्थल के अंदर सील किए गए हिस्से का मौके पर निरीक्षण कराया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत आज इस मामले की सुनवाई करेगा। दरअसल, मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करने के बाद शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी। जिसमें उच्च न्यायालय ने ;शिवलिंग' कि कार्बन डेटिंग और ASI से वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से जांच कराने का आदेश दिया था। ज्ञानवापी परिसर के शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की हिन्दू पक्ष की मांग पर आज शीर्ष अदालत में सुनवाई होगी।
बता दें कि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) जांच ASI से करवाने का आदेश दिया था। जिससे पता चल जाता कि, वो शिवलिंग है या फव्वारा ? लेकिन, उस संरचना को बार-बार फव्वारा बता रहा मुस्लिम पक्ष कार्बन डेटिंग रुकवाने सुप्रीम कोर्ट चला गया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और यूपी सरकार से जवाब तलब करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। बता दें कि पांच हिंदू पक्षकार में से चार ने ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग कराए जाने की मांग की थी, ताकि इसकी वास्तविक उम्र का पता लगाया जा सके। यह 'शिवलिंग' कोर्ट के आदेश पर कराए गए मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान ‘वज़ूखाना’ से मिला था। ‘वजूखाना’ एक छोटा तालाब है, जिसका इस्तेमाल मुस्लिम नमाज अदा करने से पहले वजू (हाथ-पैर धोने, कुल्ला करने आदि) करने के लिए करते हैं। मस्जिद समिति ने कार्बन डेटिंग की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि वह ‘शिवलिंग’ नहीं, बल्कि वजूखाने के फव्वारे का हिस्सा है।
क्या है पूरा मामला:-
बता दें कि, विवादित परिसर पर हिन्दू पक्ष अपना दावा करता रहा है, हिन्दू पक्ष की दलील है कि औरंगज़ेब ने काशी विश्वनाथ का मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवा दी थी और ये उनके लिए आस्था का बेहद महत्वपूर्ण केंद्र होने के कारण उन्हें सौंपा जाना चाहिए। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया था। हिन्दू पक्ष ने कोर्ट का रुख किया, तो अदालत ने सच्चाई का पता लगाने के लिए सर्वे का आदेश दिया, इसका भी मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया। हालाँकि, तमाम जद्दोजहद के बाद सर्वे हुआ और ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग नुमा आकृति मिली, तो मुस्लिम पक्ष उसे फव्वारा बताने लगा। अब वो शिवलिंग है या फव्वारा ? यह जानने के लिए जब कार्बन डेटिंग कराई जा रही है, तो मुस्लिम पक्ष उसे रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। इससे यह सवाल उठ रहा है कि, आखिर मुस्लिम पक्ष सच्चाई सामने क्यों नहीं आने देना चाहता ? क्या वो जानता है कि, वो आकृति शिवलिंग ही है, मगर देना नहीं चाहता ? क्योंकि, इतिहासकार इरफ़ान हबीब भी यह स्वीकार कर चुके हैं कि, औरंगज़ेब ने ही काशी, मथुरा के मंदिर तोड़े थे और उसी मलबे से वहीं मस्जिदें बनवा दी थी। उन्होंने बताया कि इतिहास की तारीख में मंदिर तोड़ने की तारीख तक दर्ज है।
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