भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि, 'प्रदेश में वन क्षेत्र बढ़ना दुनिया के लिए शुभ समाचार है।' जी दरअसल बीते बुधवार को वह प्रशासन अकादमी में आयोजित मुख्य वन संरक्षक एवं वनमंडल अधिकारियों की एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में शामिल हुए थे। यहाँ सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, 'वन क्षेत्र में नवाचार बढ़ाने की आवश्यकता है।' इसी के साथ उन्होंने कहा, 'भोपाल में वन विहार अपने आप में एक बड़ी सौगात है। इसे ऐसे मॉडल के रूप में विकसित करें कि सिंगापुर से भी लोग नाइट सफारी के लिए यहां आएं।'
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, 'जलवायु परिवर्तन के इस दौर में यह मनुष्य ही नहीं, प्राणी मात्र की रक्षा के लिए आवश्यक है। प्रदेश में वन क्षेत्र बढऩा दुनिया के लिए शुभ समाचार है।' आगे सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'जनता की सेवा और पर्यावरण संरक्षण वन सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों का दायित्व है। वन क्षेत्र में रह रहे लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहना जरूरी है। सभी पात्र व्यक्तियों को बिना किसी परेशानी के वनाधिकार अधिनियम के तहत पट्टे प्राप्त हों।' इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, 'पर्यावरण को बचाने की जितनी जिम्मेदारी वनवासियों की है, उतनी ही अन्य लोगों की भी है। वनवासियों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हो। वन क्षेत्र में सक्रिय विभिन्न माफिया पर सख्त कार्रवाई जरूरी है। वन क्षेत्र में हो रहे नए कब्जों को रोका जाए।'
आगे उन्होंने प्रदेश के टाईगर स्टेट बनने, तेंदुआ, घडिय़ाल और गिद्धों की संख्या बढऩे पर सभी वनाधिकारियों को बधाई दी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि, 'वन क्षेत्र का विस्तार जनता के सहयोग से ही हुआ है। इसमें वन समितियों का कार्य सराहनीय है। झाबुआ इसकी मिसाल है। कृषि वानिकी को बढ़ाने की आवश्यकता है। इंदौर में कार्बन क्रेडिट की दिशा में समाज के स्तर पर हुए कार्य की प्रशंसा की।' इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, 'अपनी जमीन पर लगे पेड़ों के उपयोग के संबंध में नियमों के सरलीकरण की जरूरत है। वनाधारित गतिविधियों और वनोपज के विक्रय में रोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता है। कोरोना काल में वन औषधियों का महत्व बढ़ा है। हमें वन क्षेत्र से लकड़ी के अलावा और किन-किन गतिविधियों से आय हो सकती है, इस पर विचार करना होगा।'
आगे सभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि, 'वन अमले की सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित की जाएगी। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में वन का योगदान दो प्रतिशत है। इसे बढ़ाकर हमें पांच प्रतिशत करना है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए निर्धारित रोडमैप के तहत वन विभाग से संबंधित लक्ष्यों को समय-सीमा में पूरा करने की आवश्यकता है।'
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