CM शिवराज के राजनीति में कदम रखने से खुश नहीं था उनका परिवार, ऐसे हुए कामयाब

CM शिवराज के राजनीति में कदम रखने से खुश नहीं था उनका परिवार, ऐसे हुए कामयाब
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सीहोर: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सीएम शिवराज सिंह चौहान आज अपना जन्मदिन मना रहे है। CM शिवराज अक्सर प्रदेश के नागरिकों को बेहत्तर जीवन देने के लिए प्रतिदिन नई-नई योजनाएं लागू करते है। इसके साथ ही उन्होंने बेटियों के लिए भी कई योजनाएं आरम्भ की है जिसमें बेटियों को पढ़ाई और शादी में सहायता प्राप्त होगी। वहीं बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री बनने के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया है। उनका छोटे से गांव से निकलकर सीएम बनने तक का सफर बहुत ही रोचक रहा है। शिवराज सिंह चौहान का जन्म सीहोर जिले में नर्मदा तट पर बसे एक छोटे से गांव जैत में 5 मार्च 1959 को हुआ था। उनके पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान एवं माता का नाम सुंदर बाई है। मुख्यमंत्री शिवराज राज्य के बच्चों के बीच मामा के नाम से प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त उनके पांव-पांव वाले भैया के तौर पर भी जाना जाता है।पांव-पांव वाले भैया उन्हें इसलिए कहा जाता था क्योंकि जब वो सांसद बने तब कांग्रेस की सरकार थी। इसलिए उन्होंने प्रदेश में कई पदयात्राएं की थी। यही कारण रहा है कि वो विदिशा संसदीय क्षेत्र में पांव-पांव वाले भैया के नाम से भी पहचाने जाने लगे। फिर लंबे सफर के पश्चात् 29 नवंबर 2005 को शिवराज पहली बार मध्यप्रदेश के सीएम बने थे।

हालांकि शिवराज के राजनीति में कदम रखने से उनके परिवार वाले बिल्कुल खुश नहीं थे। बावजूद इसके उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर मजदूरों के अधिकार में अपना पहला आंदोलन किया। ये आंदोलन मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने के लिए किए गया था। जो शिवराज सिंह ने जीता था। राजनीति में सफलता पाने के पश्चात् शिवराज सिंह चौहान सांसद ने 6 मई 1992 को साधना के साथ शादी की थी। फिलहाल वो दोनों दो बेटों के मात-पिता है। वहीं पढ़ाई की बात करें तो शिवराज ने आरभिंक पढ़ाई गांव में की तथा इसके बाद वो भोपाल में पढ़ें। यहीं से उनमें राजनीति के प्रति रूचि जागी। तभी उन्होंने 10वीं में स्टूडेंट कैबिनेट के सांस्कृतिक सचिव का चुनाव लड़ा मगर उसमें जीत हासिल नहीं कर पाए। इसके 1 वर्ष पश्चात् उन्होंने 11वीं क्लास में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा तथा इसमें जीत हासिल कर वो 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। फिर शिवराज पीछे नहीं हटे एवं 13 वर्ष की छोटी सी उम्र वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ गए। तब उन्होंने सरकार में लगाए गए आपातकाल का विरोध किया था। शिवराज इस के चलते 1976-77 के बीच जेल भी गए थे। इसके साथ ही 

आपको ये भी बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज ने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के हमीदिया कॉलेज से दर्शनशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया तथा वो एक गोल्ड मेडलिस्ट स्टूडेंट रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले शिवराज सिंह चौहान पांच बार सांसद भी रह चुके हैं। पहली बार वो अटल बिहारी वाजपेयी के विदिशा सीट छोड़ने पर 10वीं लोकसभा के लिए में सांसद बने थे। फिर 11वीं लोकसभा में वो यहीं से दोबारा सांसद बने। इसके पश्चात् 12वीं लोकसभा के लिए तीसरी बार भी वो विदिशा से ही सांसद बने और 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए चौथी बार और 15वीं लोकसभा के लिए विदिशा से ही पांचवीं बार सांसद चुने गए। बता दे कि पांच बार सांसद बनने के बाद वर्ष 2005 में वो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। फिर उनकी किस्मत पलटी और 29 नवंबर 2005 को जब बाबूलाल गौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो शिवराज सिंह चौहान राज्य के सीएम बने। इसी के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अब तक सबसे लंबे वक्त तक रहने का रिकॉर्ड भी है।

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