मुंबई: शिवसेना ने बीते शनिवार को तीखा हमला करते हुए स्पष्ट रूप से पूछा कि, 'क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में बांग्लादेश की आजादी के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हुए समारोह के दौरान दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम लेने से डर गए या वह शर्मिदा हैं?' इसी के साथ शिवसेना ने यह भी कहा कि, 'राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने जीत के जश्न के लिए ढाका का दौरा किया था, लेकिन वहां उन्होंने बांग्लादेश की निर्माता इंदिरा गांधी के नाम तक का उल्लेख नहीं किया।' इसी के साथ शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में यह मुद्दा उठाया। इस दौरान पार्टी ने तीखे अंदाज में कहा, 'इंदिरा को इस तरह नजरअंदाज करके आप न तो भारत का इतिहास लिख सकते हैं न ही दुनिया का। लेकिन हमारे देश के ऐसे संकीर्ण दिमाग वाले शासकों को कौन समझाएगा। यह नारी शक्ति का अपमान है।'
इसी के साथ शिवसेना ने यह भी कहा कि, 'साल 1971 के बांग्लादेश युद्ध के 50 साल बीत चुके हैं, जिसे भारत ने जीता था हमारे बहादुर सैनिकों के बलिदान को याद किया गया, लेकिन मोदी ने 16 दिसंबर को इंदिरा गांधी का उल्लेख करने की शिष्टता तक नहीं दिखाई।' इसी के साथ अखबार में आगे यह भी लिखा गया, 'अगर इंदिरा गांधी ने हिम्मत नहीं दिखाई होती, तो पाकिस्तान को कभी भी जीवन भर का सबक नहीं सिखाया जाता। उन्होंने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित किया 1947 में भारत के विभाजन का प्रभावी ढंग से बदला लिया।'
केवल यही नहीं बल्कि आगे इसमें यह भी लिखा कि, 'यहां तक कि जनसंघ के तत्कालीन नेता बाद में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इंदिरा गांधी को दुर्गा कहा पूरी दुनिया ने हिंदुस्तान की बहादुरी को सलाम किया।' इसके अलावा शिवसेना ने इंदिरा गांधी के कौशल की प्रशंसा करते हुए कहा, 'बांग्लादेश के बाद वह एक शक्तिशाली विश्व नेता के रूप में उभरी। एक स्पष्ट चेतावनी के साथ कि यदि आप भारत को बुरी नजरों से देखते हैं, तो हम आपके टुकड़े-टुकड़े कर देंगे।'
इसी के साथ तंज कसते हुए यह भी कहा गया है कि, 'जब उन्होंने (इंदिरा गांधी) ने यह उपलब्धि हासिल की थी, तब नई दिल्ली में वर्तमान शासक एक बच्चे के तौर पर बिस्तर पर लेटे होंगे। एक शासक मंदिर या भवन बना सकता है एक नदी को साफ कर सकता है, लेकिन बांग्लादेश बनाने के लिए पाकिस्तान को नहीं तोड़ सकता, जो केवल इंदिरा गांधी में करने का साहस था।' इसी के साथ शिवसेना ने यह भी कहा, 'सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल होने के बजाय इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना द्वारा सीधे हमले का आदेश दिया। यहां तक कि भारतीय वायु सेना भारतीय नौसेना का भी इस्तेमाल किया गया। कराची बंदरगाह को नष्ट कर दिया गया।'
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