मुंबई: महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय के माध्यम से किसान आंदोलन के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आड़े हाथों लिया है. सामना के संपादकीय में कहा गया है कि किसानों ने सर्वशक्तिमान मोदी सरकार को हिलाकर पूरे देश में क्रांति का बिगुल फूंकने का काम किया है. सरकार पर निशाना साधते हुए सामना में सवाल किया गया है कि देश का किसान खूनी है क्या?
सामना के संपादकीय में सवाल पुछा है कि देश के किसान खूनी, हमलावर, नक्सलवादी और आतंकवादी हैं क्या? केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून वापस लेने के लिए किया जानेवाला आंदोलन अपराध है क्या? केंद्र सरकार और सत्ताधारी पार्टी के नेता दिल्ली की बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को अपराधी साबित करने में लगे हैं. आंदोलन को बदनाम करने की पूरी सरकारी करतूत किसानों ने मिट्टी में मिला दिया है. पैर के नीचे की जमीन हिल जाने से सत्ताधीशों ने अब आंदोलनकारी किसानों को अपराधी साबित करने की तानाशाही आरंभ कर दी है.
सामना के संपादकीय में अंबाला में हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर का काफिला रोके जाने और काले झंडे दिखाने के मामले में 13 किसानों के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किए जाने को बदले की भावना से की गई कार्रवाई करार दिया है. इन किसानों के खिलाफ दंगा भड़काने और कई अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है. सामना के संपादकीय में सवाल किया गया है कि किसानों को खूनी और दंगाई साबित करने वाले इस लक्षण को क्या कहेंगे?
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