भारतीय संगीत की दुनिया में शोभा गुर्टू का नाम शायद ही कोई न जानता हो। कर्नाटक में जन्म लेने वाली शोभा गुर्टू भारतीय शास्त्रीय संगीत में गायिका थीं। यहां बता दें, कि इनका मूल नाम भानूमति शिरोडकर था और ये शास्त्रीय संगीत में विश्व प्रसिद्ध थीं। इनके द्वारा गायन की शैली ठुमरी को विश्व भर में ख्याति मिली है, इसके इसके अलावा इन्हें ठुमरी की रानी से भी पुकारा जाता था। ठुमरी के अलावा इन्हौंने होरी, दादरा , कजरी जैसी शास्त्रीय शैलियों का अस्तित्व बचाया है।
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भानूमति जी को ठुमरी गायन के लिए जाना जाता था, इसके अलावा ऐसा कहा जाता है, कि वे अपनी आंखों से भी गाती थी। शास्त्रीय संगीत में अपना नाम सर्वाच्च शिखर तक ले जाने वाली भानूमति जी ने नृत्याचार्य बिरजू महाराज के साथ भी कई गीत गाए। उनके पास ऐसी कला थी जिससे वे एक गीत से दूसरे गीत में अपने आप को तुरंत परिवर्तित कर लेती थी।
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शोभा गुर्टू जी के लिए भारतीय गायन में कई पुरूस्कारो से भी नवाजा गया था। फिल्म मैं तुलसी तेरे आंगन की के लिए उन्हें फिल्म फेयर पुरूस्कार से नवाजा गया था। इसके अलावा 2002 में पद्मभूषण, महाराष्ट्र गौरव, लता मंगेशकर, और संगीत नाटक पुरूस्कार से भी इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। पांच दशक तक ठुमरी की रानी के नाम से पहचानी जाने वाली शोभा गुर्टू विश्व विख्यात रहीं और फिर 27 सितंबर 2004 में शास्त्रीय संगीत की रानी ने अपने जीवन की अंतिम सांसे ली। आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनका नाम लोगों के दिलों से नहीं गया है।
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