केदारनाथ: केदारनाथ धाम, जो चार धाम में से एक है, में प्रशासन की लापरवाही का मामला सामने आया है। एक RTI के तहत यह जानकारी प्राप्त हुई है कि धाम के चारों ओर गड्ढों में कई टन अशोधित कचरा डाला जा रहा है, जिससे पर्यावरण प्रेमियों की चिंता बढ़ गई है। यूपी के नोएडा के एक पर्यावरणविद ने RTI से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया कि 2022 से 2024 के बीच कुल 49.18 टन अशोधित कचरा मंदिर के पास दो गड्ढों में डाला गया है।
RTI से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस अवधि में कचरे की मात्रा में निरंतर बढ़ोतरी देखी गई है। 2022 में 13.20 टन कचरा, 2023 में 18.48 टन कचरा और 2024 में अब तक 17.50 टन कचरा उत्पन्न हुआ है। इस के चलते 23.30 टन अकार्बनिक कचरा भी उत्पन्न हुआ है। RTI कार्यकर्ता अमित गुप्ता ने कहा कि केदारनाथ नगर पंचायत के लोक सूचना अफसर ने यह दावा किया कि सारे कचरे का रिसायकल कर लिया गया है, किन्तु गुप्ता का कहना है कि RTI से प्राप्त आंकड़े यह दर्शाते हैं कि कचरा प्रबंधन के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है।
गुप्ता ने बताया कि केदारनाथ मंदिर 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां ग्लेशियर भी हैं। यह क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील है। पीएम ने इस समस्या को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी उठाया था, किन्तु अधिकारियों ने प्लास्टिक कचरे के निवारण के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर के पास स्थित गड्ढे अब लगभग भर चुके हैं, तथा यदि यही स्थिति जारी रही, तो 2013 जैसी त्रासदी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
RTI के जवाब में कहा गया कि इस अवधि में कचरे का निस्तारण गैर-जिम्मेदाराना तरीके से किया गया, किन्तु प्रशासन ने इस पर कोई शिकायत नहीं दर्ज की और न ही कोई कार्रवाई की। गुप्ता ने बताया कि बीते 2 वर्षों से वे इस मुद्दे पर अफसरों को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज करवा रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) में भी शिकायत की है। शिकायत के पश्चात् गंगा मिशन ने रुद्रप्रयाग प्रशासन को इस पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
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