कोच्ची: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद राजमोहन उन्नीथन ने केरल के कासरगोड में फिलिस्तीन एकजुटता रैली में एक बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि, बिना किसी मुकदमे के इजराइली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को गोली मार देनी चाहिए। बता दें कि, इससे पहले कांग्रेस ने भी अपनी कार्यसमिति (CWC) की बैठक में आतंकी संगठन हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमले का जिक्र किए बिना फिलिस्तीन के समर्थन में एकतरफा प्रस्ताव पारित किया था। उस बैठक में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई दिग्गज नेता मौजूद थे।
विवादास्पद टिप्पणियाँ:-
केरल में फिलिस्तीन एकजुटता रैली के दौरान, कांग्रेस नेता उन्नीथन ने कहा कि नेतन्याहू युद्ध अपराधी हैं और उन्हें नूर्नबर्ग परीक्षणों के दौरान युद्ध अपराधों में शामिल लोगों के समान भाग्य का सामना करना चाहिए। बता दें कि, दूसरे विश्व युद्ध के बाद युद्ध अपराधों में शामिल लोगों के लिए नूर्नबर्ग ट्रायल एक ऐसा कदम था, जिसके तहत उन्हें बगैर किसी मुक़दमे या ट्रायल के गोली मार दी जाती थी। इससे पहले भी केरल में जमीयत ए इस्लामी द्वारा फिलिस्तीन के समर्थन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमे हमास के आतंकी खालिद मशाल ने हज़ारों मुस्लिमों के सामने ऑनलाइन भाषण दिया था और हिंदुत्व तथा यहूदीवाद को उखाड़ फेंकने की बात कही थी, लेकिन केरल सरकार ने उनपर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है।
फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास का बचाव:-
यही नहीं उन्नीथन ने गाजा पट्टी में सत्तारूढ़ फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास का बचाव करते हुए कहा कि वे आतंकवादी नहीं हैं बल्कि अपनी भूमि, लोगों और जीवन की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने हमास को आतंकवादी के रूप में चित्रित करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देने की भी अपील की। कांग्रेस नेता ने कहा कि, यदि कोई हमास को आतंकी संगठन कहता है, तो उसे करारा जवाब दो। बता दें कि, बीते दिनों पाकिस्तान के जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने इस्लामी देश 'कतर' में हमास के सरगना इस्माइल हानिया और पूर्व चीफ खालिद मशाल से मुलाकात की थी, और कश्मीर मुद्दे पर मदद मांगी थी। इसके बाद हमास ने भी मुस्लिम उम्मा से कश्मीर और फिलिस्तीन के लिए एकजुट होने की अपील की थी, अब सवाल ये है कि, यदि कल को हमास या उसके जैसी विचारधारा वाला आतंकी संगठन कश्मीर में भी आतंकी हरकतें शुरू करता है, तो कांग्रेस सांसद उसे क्या कहेंगे ? क्या कांग्रेस नेता उसे आतंकी संगठन कहेंगे या फिर अपनी जमीन के लिए लड़ने वाले रक्षक ?
वोट बैंक के लिए हमास को आतंकी नहीं कह रही कांग्रेस :-
बता दें कि, इजराइल पर फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास द्वारा किए गए वीभत्स हमले के दो दिन बाद यानी सोमवार (9 अक्टूबर) को कांग्रेस ने सुबह एक बयान जारी करते हुए इजराइल पर हुए हमले की निंदा की थी, हालाँकि, कांग्रेस ने हमले को 'आतंकी हमला' कहने से परहेज किया था। लेकिन, इसके बावजूद कांग्रेस के मुस्लिम समर्थक नाराज़ हो गए थे और सोशल मीडिया पर कांग्रेस को वोट न देने की धमकी देने लगे थे। इसके बाद कांग्रेस ने उसी दिन शाम को बड़ा यू-टर्न लेते हुए अपनी वर्किंग कमिटी (CWC) की मीटिंग में बाकायदा फिलिस्तीन (हमास का समर्थक) के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया, यहाँ कांग्रेस ने इजराइल पर हुए हमले का कोई जिक्र ही नहीं किया। ये कदम कांग्रेस ने इसलिए उठाया है कि, उसका मुस्लिम वोट बैंक नाराज़ न हो, क्योंकि 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। लेकिन, ये भी एक बड़ा सवाल है कि, जिस हमास ने 40 मासूम बच्चों की निर्मम हत्या कर दी, महिलाओं के रेप किए, उन्हें नग्न कर घुमाया, बिना उकसावे के इजराइल के लगभग 1400 लोगों का नरसंहार कर दिया, उसे आतंकी संगठन नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे ?
इजराइल को समर्थन अगर बीजेपी की पॉलिसी है तो फिलीस्तीन को समर्थन कांग्रेस और वामपंथियों की पॉलिसी है।
— P.N.Rai (@PNRai1) November 14, 2023
कांग्रेस और वामपंथी नेता सिर्फ एक वाकया बताएं जब मुसीबत के समय फिलीस्तीन के नेता भारत के साथ खड़े हुए हों?
क्या कश्मीर मुद्दे पर फिलीस्तीन समेत किसी इसलामिक देश ने भारत का… pic.twitter.com/K5XNqDbtsk
गौर करने वाली बात ये भी है कि, सीमा विवाद तो भारत का भी पाकिस्तान के साथ है, लेकिन जब पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर में हमला करते हैं, तो उसे हम 'आतंकी हमला' ही कहते हैं न, या फिर कुछ और ? यदि कल को पाकिस्तानी आतंकी, भारत पर इस तरह का हमला करते हैं, तो क्या कांग्रेस, भारत सरकार से पलटवार न करने और मार खाकर शांत रहने के लिए कहेगी ? और आतंकियों का साथ देगी ? आज भी इजराइल के लगभग 200 लोग हमास के पास बंधक हैं, तो क्या एक देश अपने नागरिकों को आतंकियों के चंगुल में छोड़ सकता है ? उन्हें बचाने के लिए इजराइल को लड़ना नहीं चाहिए, या अपने 1400 लोगों की मौत पर मौन धारण कर लेना चाहिए ? जैसा भारत ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के दौरान किया था, जब पाकिस्तानी आतंकियों ने लगभग 200 लोगों की जान ली थी। उस समय भारतीय वायुसेना ने सरकार से पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई करने की अनुमति मांगी भी थी, लेकिन सरकार ने अनुमति नहीं दी। उल्टा कांग्रेस नेताओं ने पाकिस्तानी आतंकियों को क्लीन चिट देते हुए '26/11 हमला-RSS की साजिश' नाम से किताब लॉन्च कर दी थी।
कहाँ है 240 से ऊपर बंधक बनाये गये इजरायली नागरिक ?
— Krishna Mohan Agrawal (@KrishnaMohanAg7) November 17, 2023
भारतीय मुसलमान और विश्व के अधिकतर मुसलमान और नेहरू खानदान की कांग्रेस क्यों समर्थन कर रही है , बलात्कारी हमास को ।
हे भारत के नागरिकों , जागो और विरोध करो । pic.twitter.com/9oVaYhmx9y
फिलिस्तीन पर इजराइल का कब्ज़ा कांग्रेस को दिखा, लेकिन PoK का क्या:-
ये बात थोड़ी अजीब लग सकती है, लेकिन सोचने लायक जरूर है। भारत पर सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस को ये पता है कि, इजराइल ने फिलिस्तीन की जमीन पर कब्ज़ा किया है और भारत से हज़ारों किमी दूर हो रहे इस मुद्दे पर कांग्रेस वर्किंग कमीरी (CWC) द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी के बड़े-बड़े बयान सामने आए, महात्मा गांधी तक का जिक्र किया गया। लेकिन क्या उसी कांग्रेस को नहीं पता कि, Pok और अक्साई चीन पर किसने कब्जा कर रखा है ? कांग्रेस तो खुलकर 370 वापस लागू करने का भी समर्थन करती है, जो PoK तो छोड़ो, भारत के हिस्से वाले 'कश्मीर' को भी पाकिस्तान के करीब ले जाता है। भारत सरकार के 370 हटाने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी है, वो अलग बात है कि, उसको सफलता नहीं मिली। सोचने वाली बात ये भी है कि, क्या कभी PoK के लिए कांग्रेस नेता इसी ताकत से आवाज़ उठाते दिखाई दिए हैं, खुद सत्ता में रहते हुए तो पार्टी ने कश्मीर को अलग संविधान दे रखा था, लेकिन सत्ता से बाहर होने के बाद भी क्या कभी सरकार पर जोर डालकर PoK वापस लेने की मांग की है ? उल्टा प्रथम पीएम जवाहरलाल नेहरू के समय से ही कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण कर दिया गया, उसे संयुक्त राष्ट्र (UN) में ले जाया गया, जैसे कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं, कोई विवादित जमीन हो। अक्साई चीन को तो पीएम नेहरू ने 'बंजर जमीन' बताते हुए पहले ही ख़ारिज कर दिया था, जब उसके जाने का ही कोई दुःख नहीं, तो उसे वापस लेने की कोशिश भी कौन करे। लेकिन इजराइल ने फिलिस्तीन की जमीन पर कब्ज़ा जरूर कर रखा है, ये हमें पता है और उसके लिए हम भारत में रहकर आवाज़ जरूर उठाएंगे, क्योंकि भारत में मुस्लिमों की संख्या यहूदियों से काफी अधिक है, और हमें वोट भी उन्ही के चाहिए। यदि भारत में यहूदी अधिक होते, तो हो सकता है कुछ अलग विचार किया जाता।
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