लखनऊ. दर्जनों वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दर तो घटा दी गई लेकिन क्या बाजार में भी यह वस्तुएं सस्ती हो गई हैैं? जो आपका जवाब होगा, कमोबेश वैसा ही अनुभव प्रदेश के वाणिज्य कर विभाग का भी है कि बीती 10 नवंबर को गोवा में जीएसटी काउंसिल की 23वीं बैठक में लिए गए फैसलों की राहत अभी जमीन पर नहीं उतरी है.
इसे मुनाफाखोरी मानते हुए वाणिज्य कर विभाग ने अपने अधिकारियों को ज्यादा दाम वसूलने वालों पर कार्रवाई करने, घटे टैक्स वाली वस्तुओं के दाम कम कराने और इसका लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैैं. वाणिज्य कर अधिकारियों के पास एक रेस्तरां के दो बिल आए हैैं.
एक बिल 10 नवंबर को टैक्स की दर कम किए जाने से पहले का और दूसरा बिल टैक्स की दर कम होने के बाद का है. वाणिज्य कर के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैैं कि पहले के बिल में 200 रुपये के व्यंजन में जीएसटी जोड़कर करीब 250 रुपये की बिलिंग की गई, जबकि बाद में टैक्स की दर कम किए जाने पर उसी व्यंजन का बेस प्राइज बढ़ाकर 225 रुपये कर दिया गया.
बेस प्राइज बढ़ाने से जीएसटी की कम दर का असर खत्म हो गया और बिलिंग 250 रुपये की ही हुई. यही हाल ऐसी अन्य वस्तुओं और सेवाओं का है, जिन पर जीएसटी की दर घटाई गई है. कम हुए टैक्स का लाभ उपभोक्ताओं को मिलने की बजाए मुनाफाखोरों की जेब में जा रहा है. ऐसे मामलों पर ठोस कार्यवाही के लिए तो एंटी प्रॉफीटियरिंग सेल के नियम आने का इंतजार किया जा रहा है लेकिन इससे पहले वाणिज्य कर विभाग ने अधिकारियों को ऐसे मामले पकड़ने के निर्देश जारी कर दिए हैैं.
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